Panipat-Gorakhpur Expressway: हरियाणा से यूपी तक बनेगा 750 KM लंबा एक्सप्रेसवे, DPR तैयार; जानें रूट और बजट की पूरी डिटेल
Panipat-Gorakhpur Expressway News: हरियाणा के पानीपत से यूपी के गोरखपुर तक 750 किमी लंबा नया एक्सप्रेसवे बनने जा रहा है। इसकी DPR तैयार हो गई है। जानें किन जिलों को मिलेगा फायदा और कितना कम होगा सफर का समय।
Panipat-Gorakhpur Expressway: हरियाणा से यूपी तक बनेगा 750 KM लंबा एक्सप्रेसवे, DPR तैयार; जानें रूट और बजट की पूरी डिटेल
हरियाणा के पानीपत और उत्तर प्रदेश के गोरखपुर के बीच यात्रा करने वालों के लिए एक बड़ी राहत की खबर सामने आई है। केंद्र सरकार और राज्य सरकारों के सहयोग से पानीपत-गोरखपुर एक्सप्रेसवे (Panipat-Gorakhpur Expressway) की योजना अब धरातल पर उतरती दिख रही है। ताजा जानकारी के मुताबिक, इस महत्वाकांक्षी परियोजना की DPR (Detailed Project Report) तैयार कर ली गई है।
करीब 750 किलोमीटर लंबा यह एक्सप्रेसवे पश्चिमी भारत (हरियाणा-पंजाब) को पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल सीमा के नजदीक तक सीधे जोड़ेगा। इस प्रोजेक्ट के पूरा होने से न केवल सफर का समय आधा रह जाएगा, बल्कि यह उत्तर भारत के लॉजिस्टिक्स और ट्रांसपोर्ट सेक्टर में एक नई क्रांति लेकर आएगा।
1. Panipat-Gorakhpur Expressway: प्रोजेक्ट क्या है और DPR में क्या खास है?
पानीपत से गोरखपुर तक बनने वाला यह एक्सप्रेसवे एक ग्रीनफील्ड प्रोजेक्ट (Greenfield Project) होगा, यानी इसे पूरी तरह नई जमीन पर बनाया जाएगा ताकि पुरानी सड़कों का ट्रैफिक इसे बाधित न करे।
नेशनल हाईवे अथॉरिटी ऑफ इंडिया (NHAI) और संबंधित एजेंसियों ने इसकी डीपीआर (DPR) तैयार कर ली है। रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह एक्सप्रेसवे हरियाणा के पानीपत से शुरू होकर शामली (यूपी) के रास्ते गोरखपुर तक जाएगा।
- कुल लंबाई: लगभग 700-750 किलोमीटर (प्रस्तावित)
- प्रकृति: एक्सेस कंट्रोल एक्सप्रेसवे (Access Controlled Expressway)
- स्टेटस: DPR तैयार, मंजूरी की प्रक्रिया में।
2. रूट मैप: किन-किन जिलों से होकर गुजरेगा एक्सप्रेसवे?
यह एक्सप्रेसवे हरियाणा और उत्तर प्रदेश के करीब दो दर्जन जिलों को विकास की नई रफ्तार देगा। हालांकि अंतिम रूट मैप निर्माण शुरू होने से पहले थोड़ा बदल सकता है, लेकिन DPR के अनुसार संभावित रूट इस प्रकार है:
मुख्य पड़ाव (Tentative Route):
- पानीपत (हरियाणा) - शुरुआती बिंदु
- शामली (उत्तर प्रदेश) - यूपी में प्रवेश
- मुजफ्फरनगर
- बिजनौर
- बरेली
- रामपुर
- सीतापुर
- बहराइच
- गोंडा
- गोरखपुर (उत्तर प्रदेश) - अंतिम बिंदु
नोट: यह रूट तराई क्षेत्र के जिलों को भी कवर करेगा, जो अब तक अच्छी कनेक्टिविटी से वंचित थे। इसे 'गोरखपुर-शामली एक्सप्रेसवे' के विस्तार के रूप में भी देखा जा रहा है।
3. सफर के समय में कितनी कटौती होगी?
वर्तमान में, यदि कोई सड़क मार्ग से पानीपत से गोरखपुर जाता है, तो उसे दिल्ली, आगरा, लखनऊ होते हुए जाना पड़ता है या फिर खराब रास्तों का सामना करना पड़ता है। इसमें अभी 14 से 16 घंटे का समय लगता है।
एक्सप्रेसवे बनने के बाद का बदलाव:
- अनुमानित समय: 8 से 10 घंटे।
- फायदा: भारी वाहन और कमर्शियल ट्रक बिना किसी ट्रैफिक जाम के सीधा लंबा सफर तय कर सकेंगे।
- कनेक्टिविटी: यह एक्सप्रेसवे आगे चलकर पूर्वांचल एक्सप्रेसवे और बिहार जाने वाले मार्गों से भी लिंक हो सकता है।
4. बजट और लागत: 1500 करोड़ का क्या है गणित?
मीडिया रिपोर्ट्स और वायरल खबरों में 1500 करोड़ रुपये के बजट का जिक्र किया जा रहा है। यहां यह समझना जरूरी है कि 750 किलोमीटर लंबे एक्सप्रेसवे की कुल निर्माण लागत इससे कहीं ज्यादा (हजारों करोड़ में) होगी।
विशेषज्ञों के अनुसार:
- 1500 करोड़ का आंकड़ा: यह राशि संभवतः शुरुआती चरण, जैसे कि जमीन अधिग्रहण की पहली किश्त (Land Acquisition Fund) या DPR और कंसल्टेंसी के लिए आवंटित राशि हो सकती है।
- कुल अनुमानित लागत: आमतौर पर भारत में ग्रीनफील्ड एक्सप्रेसवे बनाने में प्रति किलोमीटर 25-40 करोड़ रुपये का खर्च आता है। ऐसे में यह प्रोजेक्ट 30,000 करोड़ रुपये से अधिक का हो सकता है।
5. आर्थिक प्रभाव: हरियाणा और यूपी के लिए क्यों जरूरी है यह प्रोजेक्ट?
एक वरिष्ठ पत्रकार और इंफ्रास्ट्रक्चर एनालिस्ट के तौर पर, इस प्रोजेक्ट के तीन बड़े आर्थिक फायदे देखे जा सकते हैं:
- टेक्सटाइल और उद्योग: पानीपत 'टेक्सटाइल सिटी' (Handloom Hub) के रूप में प्रसिद्ध है। यहां का माल सीधा पूर्वी भारत और नेपाल तक आसानी से पहुंच सकेगा।
- कृषि और किसान: पश्चिमी यूपी और तराई बेल्ट (गन्ना उत्पादक क्षेत्र) के किसानों को अपनी उपज हरियाणा और पंजाब की मंडियों तक पहुंचाने या वहां से तकनीक लाने में आसानी होगी।
- धार्मिक पर्यटन: यह रूट हरिद्वार (बिजनौर के पास से) और अयोध्या-गोरखनाथ मंदिर (गोरखपुर) के बीच भी कनेक्टिविटी को सुगम बनाएगा।
📊 प्रोजेक्ट हाइलाइट्स (Project at a Glance)
| विवरण | जानकारी |
|---|---|
| प्रोजेक्ट का नाम | पानीपत-गोरखपुर एक्सप्रेसवे |
| कुल लंबाई | ~750 कि.मी. (अनुमानित) |
| राज्य | हरियाणा, उत्तर प्रदेश |
| शुरुआती बिंदु | पानीपत |
| अंतिम बिंदु | गोरखपुर |
| वर्तमान स्थिति | DPR (Detailed Project Report) तैयार |
| लाभ | यात्रा समय में 5-6 घंटे की कमी |
6. Expert Analysis: निर्माण कब शुरू होगा?
इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट्स की समयसीमा अक्सर भूमि अधिग्रहण (Land Acquisition) पर निर्भर करती है।
- DPR चरण: यह पूरा हो चुका है।
- मंजूरी: सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय (MoRTH) की मंजूरी मिलने के बाद भूमि अधिग्रहण शुरू होगा।
- निर्माण: उम्मीद की जा रही है कि 2025 के मध्य तक या अंत तक ज़मीन पर काम शुरू हो सकता है। अगर सब कुछ योजना के मुताबिक रहा, तो 2027-28 तक यह एक्सप्रेसवे जनता के लिए खुलने की संभावना है।
निष्कर्ष (Conclusion)
पानीपत-गोरखपुर एक्सप्रेसवे उत्तर भारत के रोड नेटवर्क में एक मील का पत्थर साबित होगा। DPR का तैयार होना इस दिशा में पहला बड़ा और ठोस कदम है। यह परियोजना न केवल पानीपत और गोरखपुर को पास लाएगी, बल्कि बीच में पड़ने वाले दर्जनों जिलों की अर्थव्यवस्था को भी रफ्तार देगी। हालांकि, असली चुनौती अब भूमि अधिग्रहण और समय पर निर्माण पूरा करने की होगी। आने वाले महीनों में सरकार द्वारा बजट आवंटन और टेंडर प्रक्रिया पर हमारी नज़र बनी रहेगी।