Chitkul Rakchham: भारत के आखिरी गांव में अद्भुत बदलाव, जानिए कैसे पहुंचें और क्या देखें!

Chitkul Rakchham, हिमाचल के किन्नौर में बसे भारत के आखिरी गांवों की सुंदरता और पारंपरिक जीवनशैली का अनुभव करें। होमस्टे, ट्रेकिंग और स्थानीय संस्कृति से जुड़ी ताज़ा जानकारी पाएं।

Chitkul Rakchham: भारत के आखिरी गांव में अद्भुत बदलाव, जानिए कैसे पहुंचें और क्या देखें!
भारत के आखिरी गांव Chitkul Rakchham का विहंगम दृश्य

 विषय: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित भारत के आखिरी गांव चिटकुल और इसके पास के रक्षम गांव की जीवनशैली, सुंदरता और बदलते पर्यटन परिदृश्य पर केंद्रित है। इन गांवों की भौगोलिक स्थिति, स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक जीवन और पर्यटकों के लिए उपलब्ध नई सुविधाओं का वर्णन किया गया है।

  • What (क्या): भारत के आखिरी गांव चिटकुल और रक्षम। यह हिमाचल के किन्नौर में स्थित हैं, अपनी प्राकृतिक सुंदरता, पारंपरिक लकड़ी और पत्थर के घरों, आलू के खेतों, और बसपा नदी के लिए जाने जाते हैं। अब यहां होमस्टे और कैंप भी खुल गए हैं, जो पहले कम थे।
  • Why (क्यों): इन गांवों को एक्सप्लोर करना, यहां के लोगों की जीवनशैली और संस्कृति को समझना, शहर की भीड़ और शोर से दूर प्रकृति में शांति का अनुभव करना।
  • When (कब): सर्दियों में तापमान -20°C तक चला जाता है, भारी बर्फबारी होती है, इसलिए लोग गर्मियों में ही जरूरत का सामान इकट्ठा कर लेते हैं। सूत्रों से सीधे यात्रा के सर्वोत्तम समय का उल्लेख नहीं है, लेकिन गर्मियों में तैयारी और आलू की फसल के फूलने का जिक्र है।
  • Where (कहां): हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में। चिटकुल 11,300 फीट की ऊंचाई पर है और रक्षम इससे 10 किमी पहले आता है।
  • Who (कौन): स्थानीय लोग जो सादगी से जीवन जीते हैं, खेती और पशुपालन करते हैं। बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं और काफी बहिर्मुखी हैं। पर्यटक भी यहां आते हैं, और अब होमस्टे के मालिक हरियाणा जैसे अन्य राज्यों से भी हैं।
  • How (कैसे): दिल्ली से रिकोंग की बस लेकर किन्नौर पहुंचा जा सकता है। रास्ते खड़ी पहाड़ियों को काटकर बनाए गए हैं। अब रोड और बिजली आने से सुविधा बढ़ गई है।


दैनिक रियल्टी ब्यूरो | By: Neeraj Ahlawat | Date 31 Aug 2025

Chitkul Rakchham: भारत के आखिरी गांव की बदलती तस्वीर, प्रकृति और संस्कृति का अनमोल संगम!

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बसा चिटकुल, जिसे भारत का आखिरी गांव कहा जाता है, और उससे कुछ पहले स्थित रक्षम गांव, अपनी बेजोड़ प्राकृतिक सुंदरता और पारंपरिक जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं। अगर आप शहर की भीड़भाड़ और शोर-शराबे से दूर, पहाड़ों की गोद में शांति और सुकून की तलाश में हैं, तो Chitkul Rakchham आपकी यात्रा सूची में सबसे ऊपर होने चाहिए। इन दूरदराज के गांवों में अब तेजी से बदलाव आ रहे हैं, जहां पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ रही हैं और स्थानीय संस्कृति से रूबरू होने का एक अनूठा अवसर मिल रहा है।

Chitkul Rakchham: भारत के आखिरी गांव की शांति

चिटकुल गांव हिमाचल के किन्नौर में 11,300 फीट की ऊंचाई पर बसा है और इसे भारत का आखिरी गांव इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके आगे चीन सीमा आती है। यहां लकड़ी और पत्थर से बने पुराने घर, बर्फ से भी ठंडी बसपा नदी और आलू के खेत देखने को मिलते हैं। वहीं, रक्षम गांव चिटकुल से सिर्फ 10 किलोमीटर पहले स्थित है और इसकी हर गली एक परफेक्ट फ्रेम की तरह खूबसूरत है, जिसे अभी तक ज्यादा लोगों ने एक्सप्लोर नहीं किया है। किन्नौर की पहाड़ियों में हिमाचल के सबसे सुंदर गांव बसे हैं, और Chitkul Rakchham इसी बात का प्रमाण हैं।

प्राचीन जीवनशैली: कैसे जीते हैं यहां के लोग?

चिटकुल और रक्षम के लोग काफी सादगी से अपना जीवन जीते हैं। वे मुख्य रूप से खेतीबाड़ी और पशुपालन पर निर्भर हैं, जिनके पास गाय और बकरियां होती हैं। यहां के घरों में आज भी लकड़ियों का इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता है, और सर्दियों में भीषण ठंड से बचाव के लिए लोग गर्मियों में ही लकड़ियां सुखाकर रख लेते हैं। कई घरों पर सोलर पैनल भी लगे हुए हैं, जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि यह सरकार की पहल है। फसल को स्टोर करने के लिए बड़े-बड़े स्टोरेज रूम और जानवरों के चारे को सुखाने के लिए अलग जगह होती है।

रक्षम गांव: अनदेखी सुंदरता और बच्चों का उत्साह

रक्षम गांव की सुंदरता बसपा नदी के किनारे के खेतों में एक कविता की तरह प्रतीत होती है। यहां एक सरकारी स्कूल भी है, जो पहली से बारहवीं कक्षा तक के बच्चों को शिक्षा देता है, हालांकि गांव छोटा होने के कारण यहां सिर्फ 62 बच्चे ही पढ़ते हैं। यह स्कूल चारों तरफ से पहाड़ों और पाइन ट्रीज के जंगलों से घिरा हुआ है, जहां बादल पहाड़ों के नीचे रहते हैं और सर्दियों में बर्फ गिरती है। बच्चों का उत्साह और बहिर्मुखी स्वभाव देखकर हैरानी होती है, खासकर ऐसे रिमोट एरिया में जहां सुविधाओं की कमी होती है। हाल ही में स्कूल में छोटे बच्चों का साइंस इवेंट भी हुआ था, जिसमें बच्चों ने रॉकेट जैसे मॉडल बनाकर अपनी प्रतिभा दिखाई।

चिटकुल: जहां प्रकृति और आस्था का संगम

चिटकुल में एक खुली घाटी दिखती है, जहां दूर-दूर तक आलू की खेती होती है और सफेद फूल आलू की फसल की पहचान हैं। यहां हर तीन या पांच साल में चिटकुल माता देवी का मेला लगता है, जब उनके पति बद्री विशाल कामड़ू से मिलने आते हैं। लोग देवताओं को अपने कंधों पर उठाकर लाते हैं, और इस उपलक्ष्य में तीन-चार दिन का मेला लगता है। हिमाचल और उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, जहां देवताओं की मान्यता सर्वोपरि होती है। चिटकुल के लोग प्राकृतिक संसाधनों का बहुत अच्छे से उपयोग करना जानते हैं। यहां आटा चक्की (ग्राट) हैं जो पानी के बहाव से चलती हैं और बिना बिजली के गेहूं पीसकर आटा तैयार करती हैं। ऐसी 10-12 ग्राट छोटी नहरों के किनारे बनी हुई हैं।

पर्यटन का नया अध्याय: होमस्टे और ट्रेकिंग

आज से कुछ साल पहले तक Chitkul Rakchham में बहुत कम होमस्टे और कैंप थे, लेकिन अब यहां कई होमस्टे, कैंप और होटल खुल गए हैं। ये नए विकल्प पर्यटकों को स्थानीय जीवनशैली का अनुभव करने का मौका देते हैं। यहां की ट्रेकिंग भी एक अद्भुत अनुभव प्रदान करती है। गांव के पीछे के हरे घास के मैदान और किन्नौर की ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं देखने लायक हैं। तिरंगा ट्रैक एक ऐसा ही ट्रैक है जहां से पूरा चिटकुल गांव और घाटी का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। हालांकि, ट्रेकिंग के दौरान सही रास्ते पर रहना महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई बार शॉर्टकट खतरनाक हो सकते हैं।

स्थानीय संस्कृति और आतिथ्य का अनुभव

चिटकुल और रक्षम के लोग बेहद शांत स्वभाव के होते हैं, शायद पहाड़ों में रहने के कारण। वे भेड़ की ऊन से अपने पारंपरिक कपड़े बनाते हैं। जब कोई त्यौहार होता है, तो वे अपनी स्थानीय शराब पीते हैं और एक साथ आते हैं। इन गांवों की यात्रा सिर्फ एक जगह देखना नहीं, बल्कि लोगों की कहानियों को सुनना, उनके कल्चर को समझना और उनकी सादगी का हिस्सा बनना है। कनेक्टिविटी में सुधार और बिजली आने से अब बच्चों को पढ़ाई के लिए दिल्ली, चंडीगढ़, सोलन, शिमला जैसे शहरों में जाना भी आसान हो गया है।

Chitkul Rakchham की यात्रा आपको प्रकृति की गोद में शांति, एक प्राचीन जीवनशैली की झलक और स्थानीय संस्कृति की गहरी समझ प्रदान करेगी।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

  1. Chitkul Rakchham कहाँ स्थित हैं? Chitkul Rakchham हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित दो सुंदर गांव हैं। चिटकुल को भारत का आखिरी गांव माना जाता है और यह 11,300 फीट की ऊंचाई पर बसा है।
  2. Chitkul Rakchham में क्या खास है? यहां लकड़ी और पत्थर के पारंपरिक घर, बसपा नदी, आलू के खेत, किन्नौर की पर्वत श्रृंखलाएं, और एक शांत, प्राकृतिक जीवनशैली खास है। यहां के बच्चे भी अपनी पढ़ाई और उत्साह के लिए जाने जाते हैं।
  3. Chitkul Rakchham जाने का सबसे अच्छा समय क्या है? सर्दियों में यहां का तापमान -20°C तक चला जाता है और भारी बर्फबारी होती है। गर्मियों का मौसम आमतौर पर घूमने और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने के लिए बेहतर होता है, जब आलू की फसल के फूल देखे जा सकते हैं।
  4. Chitkul Rakchham में कौन सी गतिविधियाँ कर सकते हैं? आप यहां के पारंपरिक गांवों की गलियों में घूम सकते हैं, बसपा नदी के किनारे बैठ सकते हैं, हरे-भरे घास के मैदानों (मेडोज) तक ट्रेकिंग कर सकते हैं, और तिरंगा ट्रैक से गांव का विहंगम दृश्य देख सकते हैं।
  5. Chitkul Rakchham के लोगों की जीवनशैली कैसी है? यहां के लोग काफी सादगी से जीवन जीते हैं, खेतीबाड़ी और पशुपालन करते हैं। वे प्राकृतिक संसाधनों का कुशलता से उपयोग करते हैं, जैसे पानी से चलने वाली आटा चक्की (ग्राट)।
नीरज अहलावत | संस्थापक एवं मुख्य संपादक — Dainik Reality News Dainik Reality News में हम खबरों को केवल प्रकाशित नहीं करते, समझते हैं, विश्लेषित करते हैं, और तथ्यों की पुष्टि के बाद ही आपके सामने रखते हैं। हमारा विश्वास है कि पत्रकारिता केवल सूचना का माध्यम नहीं—एक ज़िम्मेदारी है। इसी विचारधारा के साथ नीरज अहलावत, Dainik Reality News के संस्थापक एवं मुख्य संपादक, वर्तमान डिजिटल पत्रकारिता जगत में एक प्रखर और विश्वसनीय नाम के रूप में स्थापित हुए हैं। पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में 10+ वर्षों का गहन अनुभव रखते हुए उन्होंने राजनीति, अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य और सामाजिक मुद्दों पर लगातार शोध-आधारित रिपोर्टिंग की है। उनके लेख वस्तुनिष्ठता, तथ्य-आधारित विश्लेषण और संतुलित दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। नी‍रज का मानना है कि "खबर सिर्फ़ लिखी नहीं जाती, उसकी आत्मा समझनी होती है।" इसी सोच ने Dainik Reality News को पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा की राह पर आगे बढ़ाया। नीरज अहलावत न सिर्फ़ एक संपादक हैं, बल्कि Digital Strategy, SEO एवं Web Media Growth के विशेषज्ञ भी हैं। आधुनिक तकनीक, एल्गोरिथ्म और यूज़र व्यवहार की गहराई को समझते हुए वे न्यूज़ इकोसिस्टम को नए युग की पत्रकारिता के साथ जोड़ते हैं — ताकि ज़रूरी मुद्दे केवल लिखे ना जाएँ, लोगों तक पहुँचें भी। प्रमुख कार्यक्षेत्र एवं विशेषज्ञता ✔ राजनीतिक एवं आर्थिक विश्लेषण ✔ डिजिटल पत्रकारिता एवं रिपोर्टिंग ✔ मीडिया रणनीति, SEO और कंटेंट विस्तार ✔ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समसामयिक विषय ✔ तथ्यात्मक अनुसंधान एवं निष्पक्ष लेखन Articles by Author

Chitkul Rakchham: भारत के आखिरी गांव में अद्भुत बदलाव, जानिए कैसे पहुंचें और क्या देखें!

Chitkul Rakchham, हिमाचल के किन्नौर में बसे भारत के आखिरी गांवों की सुंदरता और पारंपरिक जीवनशैली का अनुभव करें। होमस्टे, ट्रेकिंग और स्थानीय संस्कृति से जुड़ी ताज़ा जानकारी पाएं।

Chitkul Rakchham: भारत के आखिरी गांव में अद्भुत बदलाव, जानिए कैसे पहुंचें और क्या देखें!
भारत के आखिरी गांव Chitkul Rakchham का विहंगम दृश्य

 विषय: हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित भारत के आखिरी गांव चिटकुल और इसके पास के रक्षम गांव की जीवनशैली, सुंदरता और बदलते पर्यटन परिदृश्य पर केंद्रित है। इन गांवों की भौगोलिक स्थिति, स्थानीय संस्कृति, पारंपरिक जीवन और पर्यटकों के लिए उपलब्ध नई सुविधाओं का वर्णन किया गया है।

  • What (क्या): भारत के आखिरी गांव चिटकुल और रक्षम। यह हिमाचल के किन्नौर में स्थित हैं, अपनी प्राकृतिक सुंदरता, पारंपरिक लकड़ी और पत्थर के घरों, आलू के खेतों, और बसपा नदी के लिए जाने जाते हैं। अब यहां होमस्टे और कैंप भी खुल गए हैं, जो पहले कम थे।
  • Why (क्यों): इन गांवों को एक्सप्लोर करना, यहां के लोगों की जीवनशैली और संस्कृति को समझना, शहर की भीड़ और शोर से दूर प्रकृति में शांति का अनुभव करना।
  • When (कब): सर्दियों में तापमान -20°C तक चला जाता है, भारी बर्फबारी होती है, इसलिए लोग गर्मियों में ही जरूरत का सामान इकट्ठा कर लेते हैं। सूत्रों से सीधे यात्रा के सर्वोत्तम समय का उल्लेख नहीं है, लेकिन गर्मियों में तैयारी और आलू की फसल के फूलने का जिक्र है।
  • Where (कहां): हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में। चिटकुल 11,300 फीट की ऊंचाई पर है और रक्षम इससे 10 किमी पहले आता है।
  • Who (कौन): स्थानीय लोग जो सादगी से जीवन जीते हैं, खेती और पशुपालन करते हैं। बच्चे सरकारी स्कूल में पढ़ते हैं और काफी बहिर्मुखी हैं। पर्यटक भी यहां आते हैं, और अब होमस्टे के मालिक हरियाणा जैसे अन्य राज्यों से भी हैं।
  • How (कैसे): दिल्ली से रिकोंग की बस लेकर किन्नौर पहुंचा जा सकता है। रास्ते खड़ी पहाड़ियों को काटकर बनाए गए हैं। अब रोड और बिजली आने से सुविधा बढ़ गई है।


दैनिक रियल्टी ब्यूरो | By: Neeraj Ahlawat | Date 31 Aug 2025

Chitkul Rakchham: भारत के आखिरी गांव की बदलती तस्वीर, प्रकृति और संस्कृति का अनमोल संगम!

हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में बसा चिटकुल, जिसे भारत का आखिरी गांव कहा जाता है, और उससे कुछ पहले स्थित रक्षम गांव, अपनी बेजोड़ प्राकृतिक सुंदरता और पारंपरिक जीवनशैली के लिए जाने जाते हैं। अगर आप शहर की भीड़भाड़ और शोर-शराबे से दूर, पहाड़ों की गोद में शांति और सुकून की तलाश में हैं, तो Chitkul Rakchham आपकी यात्रा सूची में सबसे ऊपर होने चाहिए। इन दूरदराज के गांवों में अब तेजी से बदलाव आ रहे हैं, जहां पर्यटकों के लिए सुविधाएं बढ़ रही हैं और स्थानीय संस्कृति से रूबरू होने का एक अनूठा अवसर मिल रहा है।

Chitkul Rakchham: भारत के आखिरी गांव की शांति

चिटकुल गांव हिमाचल के किन्नौर में 11,300 फीट की ऊंचाई पर बसा है और इसे भारत का आखिरी गांव इसलिए कहा जाता है क्योंकि इसके आगे चीन सीमा आती है। यहां लकड़ी और पत्थर से बने पुराने घर, बर्फ से भी ठंडी बसपा नदी और आलू के खेत देखने को मिलते हैं। वहीं, रक्षम गांव चिटकुल से सिर्फ 10 किलोमीटर पहले स्थित है और इसकी हर गली एक परफेक्ट फ्रेम की तरह खूबसूरत है, जिसे अभी तक ज्यादा लोगों ने एक्सप्लोर नहीं किया है। किन्नौर की पहाड़ियों में हिमाचल के सबसे सुंदर गांव बसे हैं, और Chitkul Rakchham इसी बात का प्रमाण हैं।

प्राचीन जीवनशैली: कैसे जीते हैं यहां के लोग?

चिटकुल और रक्षम के लोग काफी सादगी से अपना जीवन जीते हैं। वे मुख्य रूप से खेतीबाड़ी और पशुपालन पर निर्भर हैं, जिनके पास गाय और बकरियां होती हैं। यहां के घरों में आज भी लकड़ियों का इस्तेमाल प्रमुखता से किया जाता है, और सर्दियों में भीषण ठंड से बचाव के लिए लोग गर्मियों में ही लकड़ियां सुखाकर रख लेते हैं। कई घरों पर सोलर पैनल भी लगे हुए हैं, जिससे अनुमान लगाया जा सकता है कि यह सरकार की पहल है। फसल को स्टोर करने के लिए बड़े-बड़े स्टोरेज रूम और जानवरों के चारे को सुखाने के लिए अलग जगह होती है।

रक्षम गांव: अनदेखी सुंदरता और बच्चों का उत्साह

रक्षम गांव की सुंदरता बसपा नदी के किनारे के खेतों में एक कविता की तरह प्रतीत होती है। यहां एक सरकारी स्कूल भी है, जो पहली से बारहवीं कक्षा तक के बच्चों को शिक्षा देता है, हालांकि गांव छोटा होने के कारण यहां सिर्फ 62 बच्चे ही पढ़ते हैं। यह स्कूल चारों तरफ से पहाड़ों और पाइन ट्रीज के जंगलों से घिरा हुआ है, जहां बादल पहाड़ों के नीचे रहते हैं और सर्दियों में बर्फ गिरती है। बच्चों का उत्साह और बहिर्मुखी स्वभाव देखकर हैरानी होती है, खासकर ऐसे रिमोट एरिया में जहां सुविधाओं की कमी होती है। हाल ही में स्कूल में छोटे बच्चों का साइंस इवेंट भी हुआ था, जिसमें बच्चों ने रॉकेट जैसे मॉडल बनाकर अपनी प्रतिभा दिखाई।

चिटकुल: जहां प्रकृति और आस्था का संगम

चिटकुल में एक खुली घाटी दिखती है, जहां दूर-दूर तक आलू की खेती होती है और सफेद फूल आलू की फसल की पहचान हैं। यहां हर तीन या पांच साल में चिटकुल माता देवी का मेला लगता है, जब उनके पति बद्री विशाल कामड़ू से मिलने आते हैं। लोग देवताओं को अपने कंधों पर उठाकर लाते हैं, और इस उपलक्ष्य में तीन-चार दिन का मेला लगता है। हिमाचल और उत्तराखंड को देवभूमि कहा जाता है, जहां देवताओं की मान्यता सर्वोपरि होती है। चिटकुल के लोग प्राकृतिक संसाधनों का बहुत अच्छे से उपयोग करना जानते हैं। यहां आटा चक्की (ग्राट) हैं जो पानी के बहाव से चलती हैं और बिना बिजली के गेहूं पीसकर आटा तैयार करती हैं। ऐसी 10-12 ग्राट छोटी नहरों के किनारे बनी हुई हैं।

पर्यटन का नया अध्याय: होमस्टे और ट्रेकिंग

आज से कुछ साल पहले तक Chitkul Rakchham में बहुत कम होमस्टे और कैंप थे, लेकिन अब यहां कई होमस्टे, कैंप और होटल खुल गए हैं। ये नए विकल्प पर्यटकों को स्थानीय जीवनशैली का अनुभव करने का मौका देते हैं। यहां की ट्रेकिंग भी एक अद्भुत अनुभव प्रदान करती है। गांव के पीछे के हरे घास के मैदान और किन्नौर की ऊंची पर्वत श्रृंखलाएं देखने लायक हैं। तिरंगा ट्रैक एक ऐसा ही ट्रैक है जहां से पूरा चिटकुल गांव और घाटी का मनमोहक दृश्य दिखाई देता है। हालांकि, ट्रेकिंग के दौरान सही रास्ते पर रहना महत्वपूर्ण है, क्योंकि कई बार शॉर्टकट खतरनाक हो सकते हैं।

स्थानीय संस्कृति और आतिथ्य का अनुभव

चिटकुल और रक्षम के लोग बेहद शांत स्वभाव के होते हैं, शायद पहाड़ों में रहने के कारण। वे भेड़ की ऊन से अपने पारंपरिक कपड़े बनाते हैं। जब कोई त्यौहार होता है, तो वे अपनी स्थानीय शराब पीते हैं और एक साथ आते हैं। इन गांवों की यात्रा सिर्फ एक जगह देखना नहीं, बल्कि लोगों की कहानियों को सुनना, उनके कल्चर को समझना और उनकी सादगी का हिस्सा बनना है। कनेक्टिविटी में सुधार और बिजली आने से अब बच्चों को पढ़ाई के लिए दिल्ली, चंडीगढ़, सोलन, शिमला जैसे शहरों में जाना भी आसान हो गया है।

Chitkul Rakchham की यात्रा आपको प्रकृति की गोद में शांति, एक प्राचीन जीवनशैली की झलक और स्थानीय संस्कृति की गहरी समझ प्रदान करेगी।


FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न):

  1. Chitkul Rakchham कहाँ स्थित हैं? Chitkul Rakchham हिमाचल प्रदेश के किन्नौर जिले में स्थित दो सुंदर गांव हैं। चिटकुल को भारत का आखिरी गांव माना जाता है और यह 11,300 फीट की ऊंचाई पर बसा है।
  2. Chitkul Rakchham में क्या खास है? यहां लकड़ी और पत्थर के पारंपरिक घर, बसपा नदी, आलू के खेत, किन्नौर की पर्वत श्रृंखलाएं, और एक शांत, प्राकृतिक जीवनशैली खास है। यहां के बच्चे भी अपनी पढ़ाई और उत्साह के लिए जाने जाते हैं।
  3. Chitkul Rakchham जाने का सबसे अच्छा समय क्या है? सर्दियों में यहां का तापमान -20°C तक चला जाता है और भारी बर्फबारी होती है। गर्मियों का मौसम आमतौर पर घूमने और प्राकृतिक सुंदरता का अनुभव करने के लिए बेहतर होता है, जब आलू की फसल के फूल देखे जा सकते हैं।
  4. Chitkul Rakchham में कौन सी गतिविधियाँ कर सकते हैं? आप यहां के पारंपरिक गांवों की गलियों में घूम सकते हैं, बसपा नदी के किनारे बैठ सकते हैं, हरे-भरे घास के मैदानों (मेडोज) तक ट्रेकिंग कर सकते हैं, और तिरंगा ट्रैक से गांव का विहंगम दृश्य देख सकते हैं।
  5. Chitkul Rakchham के लोगों की जीवनशैली कैसी है? यहां के लोग काफी सादगी से जीवन जीते हैं, खेतीबाड़ी और पशुपालन करते हैं। वे प्राकृतिक संसाधनों का कुशलता से उपयोग करते हैं, जैसे पानी से चलने वाली आटा चक्की (ग्राट)।
नीरज अहलावत | संस्थापक एवं मुख्य संपादक — Dainik Reality News Dainik Reality News में हम खबरों को केवल प्रकाशित नहीं करते, समझते हैं, विश्लेषित करते हैं, और तथ्यों की पुष्टि के बाद ही आपके सामने रखते हैं। हमारा विश्वास है कि पत्रकारिता केवल सूचना का माध्यम नहीं—एक ज़िम्मेदारी है। इसी विचारधारा के साथ नीरज अहलावत, Dainik Reality News के संस्थापक एवं मुख्य संपादक, वर्तमान डिजिटल पत्रकारिता जगत में एक प्रखर और विश्वसनीय नाम के रूप में स्थापित हुए हैं। पत्रकारिता और डिजिटल मीडिया में 10+ वर्षों का गहन अनुभव रखते हुए उन्होंने राजनीति, अर्थव्यवस्था, अंतरराष्ट्रीय परिदृश्य और सामाजिक मुद्दों पर लगातार शोध-आधारित रिपोर्टिंग की है। उनके लेख वस्तुनिष्ठता, तथ्य-आधारित विश्लेषण और संतुलित दृष्टिकोण के लिए जाने जाते हैं। नी‍रज का मानना है कि "खबर सिर्फ़ लिखी नहीं जाती, उसकी आत्मा समझनी होती है।" इसी सोच ने Dainik Reality News को पारदर्शिता और सत्यनिष्ठा की राह पर आगे बढ़ाया। नीरज अहलावत न सिर्फ़ एक संपादक हैं, बल्कि Digital Strategy, SEO एवं Web Media Growth के विशेषज्ञ भी हैं। आधुनिक तकनीक, एल्गोरिथ्म और यूज़र व्यवहार की गहराई को समझते हुए वे न्यूज़ इकोसिस्टम को नए युग की पत्रकारिता के साथ जोड़ते हैं — ताकि ज़रूरी मुद्दे केवल लिखे ना जाएँ, लोगों तक पहुँचें भी। प्रमुख कार्यक्षेत्र एवं विशेषज्ञता ✔ राजनीतिक एवं आर्थिक विश्लेषण ✔ डिजिटल पत्रकारिता एवं रिपोर्टिंग ✔ मीडिया रणनीति, SEO और कंटेंट विस्तार ✔ राष्ट्रीय व अंतरराष्ट्रीय समसामयिक विषय ✔ तथ्यात्मक अनुसंधान एवं निष्पक्ष लेखन Articles by Author
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