H1B Visa पर Trump का बड़ा यू-टर्न, कट्टर समर्थक मार्जोरी टेलर ग्रीन को झटका, जानें क्यों वापस लिया समर्थन
H1B Visa पर पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने बड़ा कदम उठाते हुए मार्जोरी टेलर ग्रीन से समर्थन वापस लिया। जानें इस फैसले के पीछे की पूरी वजह और इसका असर।
H1B Visa पर Trump का बड़ा यू-टर्न, कट्टर समर्थक मार्जोरी टेलर ग्रीन से समर्थन वापस, जानें पूरा मामला
By: नीरज अहलावत | Date: 15 नवंबर 2025 | शाम 7:01 PM IST
नई दिल्ली (Dainik Reality)
अमेरिकी राजनीति के गलियारों से एक ऐसी खबर सामने आई है, जिसने न केवल रिपब्लिकन पार्टी के भीतर भूचाल ला दिया है, बल्कि भारत समेत दुनिया भर के लाखों कुशल पेशेवरों (Skilled Professionals) के बीच भी बहस छेड़ दी है। पूर्व अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप (Donald Trump), जो अपनी 'अमेरिका फर्स्ट' (America First) नीति के लिए जाने जाते हैं, ने अपनी सबसे कट्टर समर्थकों में से एक, जॉर्जिया की सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन (Marjorie Taylor Greene) से अपना समर्थन (Endorsement) वापस ले लिया है।
चौंकाने वाली बात यह है कि इस राजनीतिक दरार का मुख्य कारण H1B Visa से जुड़ा एक अहम कानून है। वही H1B वीजा, जिसे भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स के लिए अमेरिका में काम करने का 'गोल्डन टिकट' माना जाता है।
ट्रंप का यह कदम उनकी पिछली आव्रजन नीतियों (Immigration Policies) से बिल्कुल अलग 'यू-टर्न' माना जा रहा है। सवाल यह है कि जो ट्रंप H1B वीजा की आलोचना करते रहे हैं, वो अचानक इसके समर्थन में क्यों आ गए? और इस पूरे राजनीतिक घमासान का उन लाखों भारतीय प्रोफेशनल्स पर क्या असर पड़ेगा, जो सालों से अमेरिकी ग्रीन कार्ड का इंतजार कर रहे हैं? आइए, इस पूरी खबर का हर एंगल से विश्लेषण करते हैं।
H1B Visa पर क्यों टूटा Trump और Marjorie Taylor Greene का साथ?
इस पूरे विवाद की जड़ अमेरिकी कांग्रेस (संसद) में पेश किया गया एक बिल है, जो रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड के लिए 'प्रति-देश सीमा' (Per-Country Cap) को हटाने से संबंधित है। डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में सार्वजनिक रूप से मार्जोरी टेलर ग्रीन (जिन्हें MTG के नाम से भी जाना जाता है) की आलोचना की, क्योंकि उन्होंने इस बिल के खिलाफ वोट किया था।
ट्रंप ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि वह चाहते हैं कि जो प्रतिभाशाली लोग अमेरिका में आकर पढ़ते हैं और यहां की कंपनियों में बड़ा योगदान देते हैं, उन्हें अमेरिका में रहने की अनुमति मिलनी चाहिए। उनका यह बयान उनके 2016 और 2020 के चुनावी अभियानों से बिल्कुल अलग है, जहां उन्होंने "बाय अमेरिकन, हायर अमेरिकन" (Buy American, Hire American) का नारा देते हुए H1B वीजा प्रोग्राम को सख्त करने की वकालत की थी।
सूत्रों के मुताबिक, ट्रंप का मानना है कि अमेरिका को दुनिया के सर्वश्रेष्ठ और प्रतिभाशाली लोगों को अपने पास रखना चाहिए, ताकि वे चीन जैसे देशों में जाकर अमेरिकी कंपनियों के खिलाफ प्रतिस्पर्धा न करें।
दूसरी ओर, मार्जोरी टेलर ग्रीन रिपब्लिकन पार्टी के उस धड़े का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो 'अमेरिका फर्स्ट' का कट्टर समर्थक है। उनका मानना है कि 'प्रति-देश सीमा' हटाने से भारत और चीन जैसे बड़े देशों के प्रोफेशनल्स को फायदा होगा और इससे अमेरिकी नागरिकों की नौकरियों पर खतरा मंडराएगा। MTG का यह वोट ट्रंप की नई सोच से मेल नहीं खाया, जिसके परिणामस्वरूप ट्रंप ने उनसे अपना राजनीतिक समर्थन वापस ले लिया, जो 2024 के चुनावों (या आगामी चुनावों) से पहले एक बड़ा राजनीतिक संदेश है।
यह दरार सिर्फ एक बिल को लेकर नहीं है, बल्कि यह रिपब्लिकन पार्टी की आत्मा की लड़ाई है—क्या पार्टी व्यापार-समर्थक (Pro-Business) और प्रतिभा-आधारित आव्रजन की ओर बढ़ेगी, या फिर वह अपनी लोकलुभावन (Populist) और राष्ट्रवादी जड़ों पर कायम रहेगी?
कौन हैं Marjorie Taylor Greene, जो थीं Trump की सबसे बड़ी 'MAGA' समर्थक?
डोनाल्ड ट्रंप और मार्जोरी टेलर ग्रीन के बीच की यह दूरी इसलिए भी ज्यादा चौंकाने वाली है, क्योंकि MTG को ट्रंप के 'मेक अमेरिका ग्रेट अगेन' (MAGA) आंदोलन का सबसे वफादार और मुखर चेहरा माना जाता रहा है।
जॉर्जिया से रिपब्लिकन सांसद मार्जोरी टेलर ग्रीन 2020 में पहली बार कांग्रेस के लिए चुनी गईं। वह अपनी बेबाक, आक्रामक और अक्सर विवादास्पद बयानों के लिए जानी जाती हैं। उन्होंने डोनाल्ड ट्रंप का हर मुश्किल घड़ी में साथ दिया, चाहे वह महाभियोग (Impeachment) का मामला हो या 2020 के चुनावी नतीजों पर सवाल उठाना।
MTG की राजनीति पूरी तरह से 'अमेरिका फर्स्ट' के सिद्धांत पर आधारित है। उनकी प्राथमिकताओं में शामिल हैं:
- सख्त आव्रजन नियंत्रण: वह अवैध आव्रजन के साथ-साथ कई कानूनी आव्रजन कार्यक्रमों की भी आलोचक रही हैं।
- राष्ट्रवादी नीतियां: वह अमेरिकी नौकरियों और अमेरिकी संस्कृति को प्राथमिकता देने की वकालत करती हैं।
- ट्रंप के प्रति वफादारी: उन्हें ट्रंप की 'आवाज' के रूप में देखा जाता था, जो कांग्रेस में उनके एजेंडे को बिना किसी लाग-लपेट के आगे बढ़ाती थीं।
ट्रंप के लिए MTG एक ऐसी समर्थक थीं, जो उनके 'बेस' (Core Supporters) को एकजुट रखती थीं। लेकिन H1B वीजा जैसे मुद्दे पर MTG का ट्रंप से अलग रुख अपनाना यह दिखाता है कि 'अमेरिका फर्स्ट' की परिभाषा को लेकर भी पार्टी के भीतर मतभेद गहरे हैं।
ट्रंप का MTG जैसी कट्टर समर्थक से पल्ला झाड़ना यह संकेत देता है कि वह 2024 (या भविष्य के चुनावों) के लिए अपनी रणनीति बदल रहे हैं। वह शायद यह समझ गए हैं कि केवल कट्टर राष्ट्रवाद के सहारे चुनाव नहीं जीता जा सकता; उन्हें अमेरिकी टेक इंडस्ट्री और उन उदारवादी मतदाताओं का भी समर्थन चाहिए, जो प्रतिभा को देश की तरक्की के लिए जरूरी मानते हैं। यह कदम MTG के राजनीतिक भविष्य के लिए भी एक बड़ा झटका हो सकता है, जो अब तक खुद को 'ट्रंप की उम्मीदवार' के तौर पर पेश करती आई हैं।
आखिर क्या है H1B Visa और 'Per-Country Cap' का पूरा गणित?
इस पूरे विवाद को समझने के लिए उस कानून को समझना जरूरी है, जो ट्रंप और MTG के बीच दरार का कारण बना। यह कानून 'H1B Visa' और 'Per-Country Cap' (प्रति-देश सीमा) से जुड़ा है।
H1B Visa क्या है?
H1B वीजा एक गैर-आप्रवासी (Non-Immigrant) वीजा है, जो अमेरिकी कंपनियों को विदेशी कर्मचारियों को विशेष व्यवसायों (Specialty Occupations) में नियुक्त करने की अनुमति देता है। इन व्यवसायों के लिए आमतौर पर उच्च शिक्षा (जैसे बैचलर डिग्री या उससे अधिक) की आवश्यकता होती है। यह वीजा खास तौर पर आईटी, इंजीनियरिंग, फाइनेंस और मेडिकल क्षेत्र में लोकप्रिय है।
- हर साल एक निश्चित संख्या में ही H1B वीजा जारी किए जाते हैं (वर्तमान में 85,000)।
- यह वीजा आमतौर पर तीन साल के लिए दिया जाता है, जिसे और तीन साल के लिए बढ़ाया जा सकता है।
- भारतीय आईटी प्रोफेशनल्स H1B वीजा पाने वालों में सबसे आगे हैं। हर साल लगभग 70% से अधिक H1B वीजा भारतीयों को ही मिलते हैं।
क्या है 'Per-Country Cap' (प्रति-देश सीमा) का पेंच?
H1B वीजा धारक अमेरिका में रहते हुए स्थायी निवास (Green Card) के लिए आवेदन कर सकते हैं। ग्रीन कार्ड मिलने के बाद वे बिना किसी वीजा के स्थायी रूप से अमेरिका में रह सकते हैं और काम कर सकते हैं।
यहीं पर 'प्रति-देश सीमा' का नियम आड़े आता है। अमेरिकी कानून के तहत, हर साल जारी होने वाले कुल रोजगार-आधारित ग्रीन कार्ड (Employment-Based Green Cards) में से किसी भी एक देश को 7% से अधिक कोटा नहीं मिल सकता।
इसका भारतीयों पर क्या असर पड़ता है?
चूंकि H1B वीजा पर अमेरिका आने वाले भारतीयों की संख्या बहुत अधिक है, इसलिए ग्रीन कार्ड के लिए आवेदन करने वालों की संख्या भी बहुत ज्यादा है। लेकिन 7% की सीमा के कारण, हर साल केवल कुछ हजार भारतीयों को ही ग्रीन कार्ड मिल पाता है।
इसका परिणाम यह है कि भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए ग्रीन कार्ड का इंतजार (Backlog) दशकों लंबा हो गया है। कई अनुमानों के मुताबिक, आज आवेदन करने वाले कुछ भारतीय प्रोफेशनल्स को ग्रीन कार्ड पाने के लिए 50, 70 या यहां तक कि 100 साल से भी ज्यादा इंतजार करना पड़ सकता है। यह एक ऐसी स्थिति है, जिसमें लाखों भारतीय परिवार दशकों से 'वीजा अनिश्चितता' में जी रहे हैं।
जिस बिल पर हुआ विवाद:
जिस बिल का मार्जोरी टेलर ग्रीन ने विरोध किया, वह इसी 7% की 'प्रति-देश सीमा' को हटाने का प्रस्ताव करता है।
- समर्थकों (जैसे ट्रंप) का तर्क: यह बिल योग्यता (Merit) के आधार पर ग्रीन कार्ड देगा। जिसका आवेदन पहले आया है, उसे ग्रीन कार्ड पहले मिलेगा, चाहे वह किसी भी देश का हो। यह 'फर्स्ट कम, फर्स्ट सर्व' (First Come, First Serve) के सिद्धांत पर आधारित है और इससे भारतीय प्रोफेशनल्स का दशकों लंबा इंतजार खत्म हो जाएगा।
- विरोधियों (जैसे MTG) का तर्क: अगर यह सीमा हटाई गई, तो भारत और चीन जैसे बड़ी आबादी वाले देश, जहां से आवेदक ज्यादा हैं, वे सारे ग्रीन कार्ड ले जाएंगे। इससे दूसरे छोटे देशों (जैसे यूरोप या लैटिन अमेरिका) के आवेदकों को नुकसान होगा और यह अमेरिकी हितों के खिलाफ है।
Trump के इस रुख से भारतीय IT प्रोफेशनल्स को कितना फायदा, कितना नुकसान?
डोनाल्ड ट्रंप का H1B वीजा धारकों और 'प्रति-देश सीमा' को हटाने के पक्ष में आना, भारतीय आईटी समुदाय के लिए एक बहुत बड़ी और अप्रत्याशित खबर है। भले ही अभी तक कोई कानून नहीं बदला है, लेकिन इस रुख के गहरे मायने हैं।
तत्काल सकारात्मक संकेत:
- रिपब्लिकन पार्टी में बदलाव: अब तक, रिपब्लिकन पार्टी का एक बड़ा धड़ा (ट्रंप समेत) H1B वीजा का आलोचक रहा है। ट्रंप का यह यू-टर्न दिखाता है कि पार्टी के भीतर अब यह समझ बढ़ रही है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था को हाई-स्किल्ड टैलेंट की जरूरत है।
- बिल पास होने की संभावना: 'प्रति-देश सीमा' हटाने वाले बिल (जैसे 'Fairness for High-Skilled Immigrants Act') को डेमोक्रेटिक पार्टी का समर्थन तो मिलता रहा है, लेकिन रिपब्लिकन के विरोध के कारण यह अटक जाता था। अब जब ट्रंप खुद इसके समर्थन में आ गए हैं, तो इस बिल के पास होने की संभावनाएं बढ़ सकती हैं।
- लाखों भारतीयों को उम्मीद: यह कदम उन लाखों भारतीय परिवारों के लिए उम्मीद की किरण है, जो दशकों से ग्रीन कार्ड के इंतजार में 'वीजा के गुलाम' बनकर रह गए हैं। वे न तो नौकरी बदल सकते हैं और न ही अपना स्टार्टअप शुरू कर सकते हैं। अगर यह कैप हटती है, तो उनकी जिंदगी पूरी तरह बदल जाएगी।
संभावित नुकसान और चुनौतियां:
- क्या यह चुनावी स्टंट है?: विशेषज्ञ इस बात को लेकर सतर्क हैं कि क्या यह ट्रंप का स्थायी रुख है या केवल टेक इंडस्ट्री के बड़े दानदाताओं (Donors) को खुश करने और चुनाव से पहले अपनी छवि 'नरम' करने का एक राजनीतिक स्टंट है। ट्रंप अपनी नीतियों को पलटने के लिए जाने जाते हैं।
- पार्टी के भीतर विरोध: जैसा कि MTG के वोट से जाहिर है, रिपब्लिकन पार्टी का 'MAGA' बेस अभी भी इस बदलाव के सख्त खिलाफ है। ट्रंप को अपनी ही पार्टी के भीतर भारी विरोध का सामना करना पड़ेगा।
- कानूनी पेंच: अगर यह बिल पास हो भी जाता है, तो भी इसे लागू होने में समय लगेगा और इसे कानूनी चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
कुल मिलाकर, ट्रंप का यह बयान भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए तात्कालिक राहत नहीं, बल्कि भविष्य के लिए एक 'बड़ा सकारात्मक संकेत' है। यह दिखाता है कि अमेरिका में राजनीतिक हवा बदल रही है और हाई-स्किल्ड इमिग्रेशन के महत्व को अब नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।
क्या 'America First' नीति पर नरम पड़ रहे हैं Trump? रिपब्लिकन पार्टी में दरार
डोनाल्ड ट्रंप का MTG से समर्थन वापस लेना सिर्फ H1B वीजा तक सीमित नहीं है; यह 'अमेरिका फर्स्ट' नीति की पुनर्व्याख्या (Re-interpretation) का संकेत है। यह घटना रिपब्लिकन पार्टी के भीतर चल रहे एक गहरे वैचारिक संघर्ष को सतह पर ले आई है।
दो धड़ों में बंटी रिपब्लिकन पार्टी:
- 'MAGA' राष्ट्रवादी धड़ा: इस धड़े का नेतृत्व MTG जैसे नेता करते हैं। इनका मानना है कि 'अमेरिका फर्स्ट' का मतलब है अमेरिकी नागरिकों को नौकरियों में पहली प्राथमिकता, सीमाओं पर सख्त नियंत्रण और आव्रजन में भारी कटौती। वे H1B वीजा को अमेरिकी नौकरियों पर 'हमला' मानते हैं।
- 'बिजनेस-फर्स्ट' यथार्थवादी धड़ा: यह धड़ा (जिसमें अब ट्रंप भी शामिल होते दिख रहे हैं) मानता है कि 'अमेरिका फर्स्ट' का मतलब है अमेरिकी अर्थव्यवस्था को दुनिया में नंबर वन बनाना। इसके लिए दुनिया के सबसे प्रतिभाशाली लोगों (Best and Brightest) को अमेरिका लाना जरूरी है, ताकि वे चीन जैसी शक्तियों का मुकाबला कर सकें। अमेरिकी टेक कंपनियां और सिलिकॉन वैली लंबे समय से इसी तर्क की वकालत कर रही हैं।
ट्रंप का यू-टर्न क्यों?
विशेषज्ञों का मानना है कि ट्रंप के इस बदलाव के पीछे कई कारण हो सकते हैं:
- टेक इंडस्ट्री का दबाव: गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, एप्पल और अन्य टेक कंपनियां H1B वीजा और ग्रीन कार्ड बैकलॉग की समस्या को लेकर लगातार लॉबिंग करती रही हैं। उनका तर्क है कि टैलेंट की कमी के कारण वे पिछड़ रहे हैं। ट्रंप को इन कंपनियों के समर्थन (और फंड) की जरूरत है।
- चीन से प्रतिस्पर्धा: ट्रंप समझ गए हैं कि अगर प्रतिभाशाली भारतीय इंजीनियरों को अमेरिका में ग्रीन कार्ड नहीं मिलेगा, तो वे कनाडा, ऑस्ट्रेलिया या वापस भारत चले जाएंगे, या इससे भी बदतर, चीन के लिए काम कर सकते हैं। यह अमेरिका की राष्ट्रीय सुरक्षा और तकनीकी बढ़त के लिए खतरा है।
- छवि बदलने की कोशिश: ट्रंप अपनी 'कट्टर' छवि को तोड़कर खुद को एक 'व्यावहारिक' और 'बिजनेस-फ्रेंडली' नेता के तौर पर पेश करना चाहते हैं, ताकि वे उन उदारवादी मतदाताओं को भी साध सकें, जो आव्रजन के खिलाफ नहीं हैं।
MTG से दूरी बनाकर ट्रंप अपने 'MAGA' बेस को यह संदेश दे रहे हैं कि वफादारी अहम है, लेकिन 'जीतने' के लिए नीतियों में लचीलापन भी जरूरी है। यह रिपब्लिकन पार्टी के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है, जहां उसे राष्ट्रवाद और आर्थिक यथार्थवाद के बीच संतुलन खोजना होगा।
विशेषज्ञ विश्लेषण: H1B वीजा का भविष्य और अमेरिकी राजनीति का अगला कदम
डोनाल्ड ट्रंप द्वारा मार्जोरी टेलर ग्रीन का समर्थन वापस लेना अमेरिकी आव्रजन नीति के भविष्य के लिए एक महत्वपूर्ण घटना है। यह सिर्फ दो नेताओं के बीच का विवाद नहीं है, बल्कि यह H1B वीजा और ग्रीन कार्ड बैकलॉग के मुद्दे को अमेरिकी राजनीति के केंद्र में वापस ले आया है।
भविष्य की संभावनाएं:
1. क्या 'प्रति-देश सीमा' हटेगी?
ट्रंप के इस नए रुख के बाद, 'प्रति-देश सीमा' हटाने वाले बिल के पास होने की संभावना पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हो गई है। डेमोक्रेट्स पहले से ही इसके पक्ष में हैं। अगर ट्रंप रिपब्लिकन पार्टी के सीनेटरों को भी इसके लिए राजी कर लेते हैं, तो यह ऐतिहासिक कानून बन सकता है। यह लाखों भारतीय H1B वीजा धारकों के लिए 'मुक्ति' जैसा होगा, जिनका दशकों का इंतजार कुछ ही सालों में सिमट सकता है।
2. H1B वीजा प्रोग्राम का भविष्य:
भले ही ट्रंप ग्रीन कार्ड बैकलॉग पर नरम पड़े हों, लेकिन यह जरूरी नहीं कि वह H1B वीजा लॉटरी सिस्टम के भी समर्थक हों। वह अब भी 'मेरिट-आधारित' (Merit-Based) आव्रजन प्रणाली पर जोर दे सकते हैं, जहां सबसे अधिक वेतन या उच्चतम कौशल वाले आवेदकों को प्राथमिकता दी जाए। इसका मतलब यह हो सकता है कि H1B वीजा हासिल करना तो मुश्किल रहेगा, लेकिन जिसे मिल गया, उसके लिए ग्रीन कार्ड का रास्ता आसान हो जाएगा।
3. भारतीय प्रोफेशनल्स के लिए सलाह:
विशेषज्ञों की सलाह है कि भारतीय प्रोफेशनल्स को अभी उत्साहित होने के बजाय 'सतर्क आशावादी' (Cautiously Optimistic) रहना चाहिए। अमेरिकी राजनीति बहुत अस्थिर है और यह बिल अभी भी कई बाधाओं का सामना करेगा। उन्हें अपनी वीजा स्थिति को लेकर सजग रहना चाहिए और सभी कानूनी विकल्पों पर नजर रखनी चाहिए।
निष्कर्ष:
डोनाल्ड ट्रंप और मार्जोरी टेलर ग्रीन के बीच H1B वीजा को लेकर हुआ यह टकराव यह साबित करता है कि अमेरिकी राजनीति में हाई-स्किल्ड इमिग्रेशन अब केवल एक आर्थिक मुद्दा नहीं, बल्कि एक गहरा राजनीतिक और रणनीतिक मुद्दा बन गया है। ट्रंप ने यह दांव खेलकर रिपब्लिकन पार्टी को एक नई दिशा देने की कोशिश की है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या ट्रंप का यह 'यू-टर्न' उन्हें राजनीतिक फायदा पहुंचाता है और क्या यह लाखों भारतीय परिवारों के 'अमेरिकन ड्रीम' को सच करने में मदद करता है। फिलहाल, यह स्पष्ट है कि H1B वीजा का मुद्दा अमेरिकी चुनावों में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाने वाला है।