UPI Europe Expansion: भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम जल्द पहुंचेगा यूरोप, RBI और NPCI की बड़ी तैयारी
भारत का UPI जल्द ही यूरोप में उपलब्ध होगा। RBI और NPCI इंटरनेशनल इसके लिए प्रयास कर रहे हैं। जानें इससे भारतीय पर्यटकों और प्रवासियों को क्रॉस-बॉर्डर पेमेंट में कितनी आसानी होगी।
UPI Europe Expansion: भारत का डिजिटल पेमेंट सिस्टम जल्द पहुंचेगा यूरोप, RBI और NPCI की बड़ी तैयारी
नई दिल्ली, टेक डेस्क। भारत का यूनिफाइड पेमेंट्स इंटरफेस (UPI) वैश्विक स्तर पर अपनी सफलता का परचम लहराने के बाद अब एक और बड़ी छलांग लगाने को तैयार है। भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) और NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL) अब UPI को यूरोप के प्रमुख देशों में उपलब्ध कराने की दिशा में सक्रिय रूप से काम कर रहे हैं। यह कदम न सिर्फ भारत की डिजिटल ताकत को दर्शाता है, बल्कि यूरोप जाने वाले भारतीय पर्यटकों और वहां रहने वाले प्रवासियों के लिए लेन-देन को बेहद आसान बना देगा।
भारत के UPI का ग्लोबल विस्तार: यूरोप में एंट्री की तैयारी
भारत में डिजिटल पेमेंट क्रांति का पर्याय बन चुका UPI अब अपनी सीमाओं से बाहर निकलकर दुनिया भर में स्वीकार्यता हासिल कर रहा है। ताजा जानकारी के मुताबिक, RBI और नेशनल पेमेंट्स कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया (NPCI) की अंतरराष्ट्रीय शाखा, NIPL, यूरोपीय देशों में UPI सेवाओं के विस्तार के लिए बातचीत के दौर में हैं।
RBI के गवर्नर शक्तिकांत दास ने हाल ही में इस बात के संकेत दिए हैं कि भारत के इस स्वदेशी पेमेंट सिस्टम को यूरोप के बाजारों में उतारने के प्रयास तेज कर दिए गए हैं। इसका मुख्य उद्देश्य क्रॉस-बॉर्डर ट्रांजैक्शन (सीमा पार लेन-देन) को सरल, तेज और किफायती बनाना है।
भारतीय पर्यटकों और प्रवासियों के लिए यह क्यों बड़ी खबर है?
यूरोप हमेशा से ही भारतीय पर्यटकों के लिए एक प्रमुख आकर्षण केंद्र रहा है। इसके अलावा, बड़ी संख्या में भारतीय समुदाय के लोग यूरोप के विभिन्न देशों में रहते और काम करते हैं। UPI के यूरोप में लॉन्च होने से सीधा फायदा इन्हीं लोगों को मिलेगा।
- पर्यटकों के लिए आसानी: फिलहाल, यूरोप जाने वाले भारतीय पर्यटकों को फॉरेक्स कार्ड (Forex Cards) या नकद यूरो पर निर्भर रहना पड़ता है। UPI के आने से वे अपने भारतीय बैंक खाते से सीधे भुगतान कर सकेंगे।
- कम खर्चीला लेन-देन: अंतरराष्ट्रीय कार्ड ट्रांजैक्शन पर अक्सर भारी मार्कअप फीस और करेंसी कन्वर्जन चार्ज लगता है। UPI के माध्यम से ये लागतें काफी कम होने की उम्मीद है।
- प्रवासियों के लिए सुविधा: यूरोप में रहने वाले भारतीय छात्र और पेशेवर भी इसका लाभ उठा सकेंगे, जिससे भारत में पैसे भेजना या मंगवाना और भी आसान हो जाएगा।
अब तक किन देशों में पहुंच चुका है भारत का UPI?
UPI का वैश्वीकरण कोई रातोंरात हुई घटना नहीं है। NPCI इंटरनेशनल (NIPL) पिछले कुछ वर्षों से रणनीतिक रूप से इसे दुनिया भर में फैला रहा है। वर्तमान में, UPI ने निम्नलिखित देशों और स्थानों पर अपनी उपस्थिति दर्ज कराई है:
- फ्रांस (France): पेरिस के एफिल टॉवर (Eiffel Tower) पर UPI के जरिए टिकट बुक करने की सुविधा शुरू हो चुकी है। यह यूरोप में UPI की पहली बड़ी एंट्री थी।
- संयुक्त अरब अमीरात (UAE): यहां के कई बड़े आउटलेट्स और मॉल्स में UPI स्वीकार किया जाता है।
- सिंगापुर (Singapore): भारत और सिंगापुर ने अपने फास्ट पेमेंट सिस्टम (UPI और PayNow) को लिंक किया है।
- पड़ोसी देश: नेपाल, भूटान और श्रीलंका जैसे पड़ोसी देशों में भी UPI सेवाएं उपलब्ध हैं।
- मॉरीशस: यहां भी भारतीय पर्यटक UPI का इस्तेमाल कर सकते हैं।
RBI और NPCI इंटरनेशनल (NIPL) की रणनीति क्या है?
UPI को वैश्विक ब्रांड बनाने के पीछे NPCI इंटरनेशनल पेमेंट्स लिमिटेड (NIPL) की अहम भूमिका है। यूरोप में विस्तार के लिए, NIPL वहां के केंद्रीय बैंकों, वित्तीय नियामकों और प्रमुख पेमेंट सर्विस प्रोवाइडर्स के साथ साझेदारी के मॉडल पर काम कर रहा है। रणनीति यह है कि यूरोप के मौजूदा पेमेंट इंफ्रास्ट्रक्चर के साथ UPI को इस तरह इंटीग्रेट किया जाए कि यह वहां के नियमों का पालन करते हुए निर्बाध रूप से काम कर सके।
यूरोप में UPI लागू करने में क्या चुनौतियां आ सकती हैं?
हालांकि उत्साह बहुत है, लेकिन यूरोप जैसे जटिल और कड़े नियमों वाले बाजार में UPI का पूर्ण कार्यान्वयन चुनौतियों से खाली नहीं होगा।
- नियामक ढांचा (Regulatory Framework): यूरोपीय संघ (EU) में डेटा गोपनीयता (जैसे GDPR) और वित्तीय लेन-देन के नियम बहुत सख्त हैं। UPI के ढांचे को इन नियमों के अनुरूप ढालना एक बड़ी चुनौती होगी।
- तकनीकी एकीकरण: यूरोप का अपना भुगतान तंत्र है, जैसे SEPA (Single Euro Payments Area)। भारतीय UPI सिस्टम को इन यूरोपीय प्रणालियों के साथ तालमेल बिठाना होगा।
निष्कर्ष (Conclusion)
भारत का UPI अब सिर्फ एक घरेलू सफलता की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक वैश्विक डिजिटल पब्लिक गुड (Global Digital Public Good) बनने की राह पर है। RBI और NPCI का यूरोप में विस्तार का प्रयास महत्वाकांक्षी है, लेकिन अगर यह सफल होता है, तो यह भारतीय यात्रियों के अनुभव को पूरी तरह बदल देगा। आने वाले महीनों में यह देखना दिलचस्प होगा कि यूरोप के किन देशों में सबसे पहले यह सुविधा व्यापक रूप से शुरू होती है।