WhatsApp IT Rules 2021: Delhi High Court में क्यों पहुंची जंग? प्राइवेसी पर जानें बड़ा खतरा।
WhatsApp को लेकर भारत में IT Rules 2021 पर छिड़ी जंग। Delhi High Court में Meta ने दी चुनौती। जानें End-to-End Encryption और Originator की पहचान का पेच।
By: दैनिक रियल्टी ब्यूरो | Date: | 01 Nov 2025 Alt Text: ""
WhatsApp IT Rules 2021: देश की सुरक्षा या यूजर प्राइवेसी? जानें 53 करोड़ भारतीय यूजर्स पर क्या होगा फैसला
इस वक्त की ब्रेकिंग खबर यह है कि देश की संप्रभुता (Sovereignty) और आपके निजी डेटा की सुरक्षा के बीच एक बड़ी कानूनी लड़ाई चल रही है, जिसका सीधा असर भारत के 53 करोड़ मासिक WhatsApp यूजर्स पर पड़ने वाला है। मार्क जकरबर्ग के नेतृत्व वाली कंपनी मेटा (Meta), जो WhatsApp का संचालन करती है, उसने अप्रैल 2024 में दिल्ली हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाकर भारत के नए आईटी रूल्स को चुनौती दी थी। सरकार चाहती है कि यदि देश में दंगे भड़काने, पेपर लीक करने या चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज मटेरियल फैलाने जैसी कोई भी अवैध गतिविधि होती है, तो WhatsApp उस मैसेज के 'पहले प्रवर्तक' (Originator) की पहचान करे। हालांकि, कंपनी अपनी एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (End-to-End Encryption) नीति का हवाला देकर ऐसा करने से इनकार कर रही है, इसे निजता का हनन मान रही है। यह संघर्ष केवल एक ऐप की नीति का नहीं, बल्कि यह तय करेगा कि भारत में डिजिटल दुनिया पर किसका नियंत्रण होगा: देश का संविधान और कानून, या एक निजी तकनीक कंपनी के नियम। यह बेहद महत्वपूर्ण विश्लेषण समझना हर भारतीय यूजर के लिए आवश्यक है, क्योंकि आपका प्रिय सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म अब सुरक्षा एजेंसियों के रडार पर है।
1. भारत में WhatsApp का विशाल साम्राज्य और उसकी सुरक्षा चुनौतियाँ
भारत में WhatsApp की पैठ इतनी गहरी है कि यह यहाँ का सबसे पसंदीदा सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म है, जहाँ इंटरनेट उपयोग का 15.7% हिस्सा इसी पर खर्च होता है। मई 2024 के आँकड़ों के अनुसार, भारत में इसके लगभग 53 करोड़ मासिक सक्रिय उपयोगकर्ता हैं, जो दुनिया में सबसे अधिक हैं, और अनुमान है कि 2025 तक यह संख्या बढ़कर 80 करोड़ हो सकती है। इस विशाल उपयोगकर्ता आधार के कारण, WhatsApp केवल संचार का माध्यम नहीं रह गया है; यह एक शक्तिशाली उपकरण बन गया है जिसका उपयोग देश के भीतर अव्यवस्था पैदा करने के लिए भी होने लगा है। जब भी कोई दंगा भड़कता है, तुरंत इंटरनेट सेवाएं रोक दी जाती हैं, क्योंकि यह देखा गया है कि कोई अननोन नंबर से एक मैसेज आता है, जो बिना किसी जाँच के जंगल में आग की तरह फैल जाता है। उदाहरण के लिए, यदि किसी संदेश में लिखा है कि 'फलानी जगह दंगा भड़क गया है, सामान लेकर मौके पर पहुँचो', तो प्राप्तकर्ता तुरंत बिना सेंडर को जाने इसे फॉरवर्ड कर देता है। यह संदेश, भले ही इसका स्रोत अज्ञात हो, लोगों को पूर्वकल्पित धारणाओं (preconceived notions) के साथ घटनास्थल पर पहुंचने के लिए उकसाता है, जिससे हिंसा भड़क जाती है। इसी तरह, पेपर लीक जैसी घटनाएँ भी एक जगह से उत्पन्न होती हैं और तेजी से साझा होती हैं। सरकार का मानना है कि ये सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज (मध्यस्थ) सूचना के प्रवाह को नियंत्रित करने में विफल रहे हैं, और देश की सुरक्षा के लिए यह जानना अनिवार्य हो गया है कि इस आपराधिक शृंखला को शुरू किसने किया (ओरिजिनल सोर्स 'एक्स' कौन था)। जब पुलिस जाँच करती है, तो उन्हें श्रृंखला के अंतिम व्यक्ति से शुरू करके 'डी', 'सी', 'बी' तक पहुँचने में बहुत समय लग जाता है, इसलिए Originator तक तुरंत पहुँचना कानून व्यवस्था के लिए अति आवश्यक है।
2. IT Rules 2021: सरकार ने क्यों मांगा 'Originator' का पता?
वर्ष 2018 से ही भारत सरकार WhatsApp से यह जानकारी देने का कष्ट करने को कह रही थी कि आपत्तिजनक संदेश कहाँ से उत्पन्न हो रहे हैं। जब कंपनी ने अपनी पॉलिसी का हवाला देकर सहयोग नहीं किया, तो सरकार ने 2021 में सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यवर्ती दिशानिर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियम, 2021 (IT Rules 2021) जारी किए। इन नियमों में स्पष्ट रूप से कहा गया कि जो सोशल मीडिया मध्यस्थ (intermediaries) मुख्य रूप से मैसेजिंग सेवाएं प्रदान करते हैं, उन्हें सूचना के पहले प्रवर्तक (First Originator) की पहचान करने में सक्षम होना चाहिए। सरकार ने यह भी स्पष्ट किया कि इस पहचान की आवश्यकता केवल विशिष्ट और गंभीर अपराधों के लिए है। ये अपराध निम्नलिखित से संबंधित हैं:
- भारत की संप्रभुता (Sovereignty) और अखंडता।
- राज्य की सुरक्षा और विदेशी राज्यों के साथ मैत्रीपूर्ण संबंध।
- सार्वजनिक व्यवस्था (Public Order) को भंग करना या किसी ऐसे अपराध को उकसाना।
- बलात्कार, यौन रूप से स्पष्ट सामग्री (Sexually Explicit Material) या बाल यौन शोषण सामग्री (Child Sexual Abuse Material) से संबंधित अपराध।
सरकार का उद्देश्य उन मास्टरमाइंड को पकड़ना है जो देश को नुकसान पहुंचाते हैं, जैसे कि दंगा भड़काने वाले, करोड़ों की संपत्ति का नुकसान करने वाले, या पेपर लीक करके युवाओं के भविष्य से खिलवाड़ करने वाले। यदि कोई व्यक्ति बच्चे का पोर्न बनाकर डालता है, या किसी की व्यक्तिगत फोटो वायरल करता है, तो कानून प्रवर्तन एजेंसियों को यह जानने का पूरा अधिकार है कि यह घिनौना कृत्य किसने किया। IT Rules 2021 इसी अधिकार को सुनिश्चित करते हैं, ताकि जनता की सुरक्षा और कानून व्यवस्था बनी रहे। सरकार का तर्क है कि जब WhatsApp ही वह माध्यम बन रहा है जहाँ अवैध सिंडिकेट (syndicates) संचालित हो रहे हैं, तो वह अपनी आँखें बंद नहीं रख सकती।
3. एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन की ढाल: WhatsApp का मुख्य बचाव
WhatsApp ने इन नियमों को Delhi High Court में चुनौती देते हुए अपनी कंपनी की पॉलिसी और एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन को अपना मुख्य बचाव बनाया है। WhatsApp का दावा है कि उनकी पॉलिसी यह है कि वे संदेश भेजने वाले का नाम नहीं बताते। उनका तकनीकी बचाव यह है कि वे संदेश को एन्क्रिप्टेड (encrypted) रूप में भेजते हैं—यानी, जब कोई संदेश टाइप होता है, तो वह उनके सर्वर में आते ही कोड भाषा ('एंगल मैंगलम') में बदल जाता है (उदाहरण के लिए: 'आई लव यू' बदलकर '50 90 80' हो सकता है)। यह कोड केवल प्राप्तकर्ता के फोन नंबर द्वारा ही डिक्रिप्ट (decrypt) होता है और मूल रूप में दिखाई देता है। कंपनी का तर्क है कि उनकी यह मजबूत सुरक्षा ('एंक्रिप्शन') ही उनकी सबसे बड़ी यूएसपी है, और अगर वे इस सिस्टम को तोड़ने लग गए या Originator की पहचान बताने लग गए, तो उनकी प्राइवेसी नीति का हनन हो जाएगा। WhatsApp यह भी धमकी दे चुका है कि यदि नियमों में बदलाव नहीं किया गया, तो वे भारत छोड़कर चले जाएंगे। WhatsApp के वकील ने अदालत में यह दलील भी दी कि सरकार यदि पिछली साल का डेटा मांगेगी, तो उन्हें इतने बड़े पैमाने पर डेटा सुरक्षित रखना पड़ेगा, जो उनके लिए एक बड़ी चुनौती है। यह सब 'निजता के अधिकार' (Right to Privacy) के बहाने किया जा रहा है।
4. प्राइवेसी की आड़ में छिपे अवैध हित और भ्रष्टाचार का सिंडिकेट
हालांकि WhatsApp और उसके समर्थक प्राइवेसी को सर्वोपरि बता रहे हैं, लेकिन सरकार और विशेषज्ञ इस बात पर जोर देते हैं कि इस प्राइवेसी की आड़ में भ्रष्टाचार, अवैध सिंडिकेट और राष्ट्रविरोधी गतिविधियाँ पनप रही हैं। कई भ्रष्ट सरकारी तंत्र, राजनीति से जुड़े लोग, और ठेकेदार अब WhatsApp कॉल या मैसेज का उपयोग इसलिए करते हैं क्योंकि वे मानते हैं कि यह सुरक्षित है और कोई उनकी बातें नहीं सुन पाएगा। वे इस प्लेटफॉर्म को अपने भ्रष्ट आचरणों को छुपाने की स्थली मानते हैं। उदाहरण के लिए, दिल्ली शराब घोटाला जैसे कई मामलों में कॉल ट्रेल की जानकारी बहुत महत्वपूर्ण होती है। जब आम जनता को पता चलता है कि सरकार उनकी प्राइवेसी में ताँका-झाँकी कर रही है, तो वे सोचते हैं कि उनके निजी संदेशों (जैसे कि प्यार भरे मैसेज) में सरकार को रुचि है। लेकिन वास्तविकता यह है कि सरकार को आम जनता के निजी जीवन में कोई खास दिलचस्पी नहीं है। सरकार का असली इंटरेस्ट उन तत्वों को पकड़ने में है जो दंगे भड़काकर या पेपर लीक करके लाखों लोगों को नुकसान पहुंचा रहे हैं। WhatsApp ने एक समांतर इकोसिस्टम (Parallel Ecosystem) खड़ा कर दिया है, जहाँ सरकार को पकड़ना मुश्किल हो जाता है। जो लोग सेक्सुअल अब्यूज सिंडिकेट चला रहे हैं, ब्लैक मेलिंग कर रहे हैं (सेक्सटॉर्शन), वे जानबूझकर WhatsApp का इस्तेमाल कर रहे हैं क्योंकि यह आईटी रूल्स 2021 के अनुपालन से बच रहा है।
5. दिल्ली हाई कोर्ट का हस्तक्षेप और मध्यम मार्ग की तलाश
WhatsApp द्वारा आईटी रूल्स 2021 को चुनौती देने के बाद, यह मामला Delhi High Court में विचाराधीन है। अदालत ने दोनों पक्षों की दलीलें सुनने के बाद 'मध्यम मार्ग' निकालने का सुझाव दिया है। सरकार का पक्ष यह है कि वे कंपनी से सीधे डेटा नहीं मांग रहे हैं, बल्कि चाहते हैं कि WhatsApp अपनी ही कंपनी का एक 'शिकायत निवारण अधिकारी' (Grievance Officer) नियुक्त करे, जो भारत में बैठे। जब जाँच एजेंसियाँ किसी गंभीर अपराध के संबंध में जानकारी मांगें, तो यह अधिकारी WhatsApp के सिस्टम में से केवल उस मैसेज के Originator की पहचान करके जाँच एजेंसी को बता दे। सरकार यह नहीं कह रही कि उन्हें WhatsApp का पूरा डेटा दे दिया जाए, बल्कि केवल यह जानना चाहती है कि वह पहला व्यक्ति कौन था जिसने आपत्तिजनक सामग्री डाली थी। अदालत का यह सुझाव महत्वपूर्ण है क्योंकि यह जनता का विश्वास भी बनाए रखेगा (सरकार सीधे हस्तक्षेप नहीं करेगी) और देश की सुरक्षा सुनिश्चित करने में भी मदद करेगा। हालांकि, WhatsApp इसे अपनी डेटा पॉलिसी के खिलाफ मानते हुए कह रहा है कि यदि ऐसा हुआ तो लोग उनके मोबाइल को अनइंस्टॉल कर देंगे और वे दुनिया में राज नहीं कर पाएंगे।
Conclusion (1 para): Summary + Analyze in-depth
यह कानूनी लड़ाई भारत में डिजिटल संप्रभुता (Digital Sovereignty) का भविष्य तय करेगी। एक तरफ, लगभग 53 करोड़ भारतीय उपयोगकर्ताओं की निजता का अधिकार है, जिसकी आड़ में कई अवैध गतिविधियाँ संचालित हो रही हैं। दूसरी तरफ, भारतीय संविधान और संसद द्वारा बनाए गए आईटी रूल्स 2021 हैं, जिनका उद्देश्य देश की सुरक्षा, सार्वजनिक व्यवस्था बनाए रखना और बलात्कार या चाइल्ड अब्यूज जैसे घिनौने अपराधों को रोकना है। WhatsApp का यह रुख, कि वह एक चुनी हुई सरकार को जानकारी देने से मना कर रहा है, नव उपनिवेशवाद (neo-colonialism) की भावना को दर्शाता है, जहाँ एक निजी कंपनी खुद को देश के कानून से ऊपर मानती है। Delhi High Court ने जो मध्यम मार्ग सुझाया है (ग्रीवेंस ऑफिसर नियुक्त करना), वह एक ऐसा संतुलन स्थापित कर सकता है जहाँ डेटा बेचे जाने के कंपनी के 'दोहरे चरित्र' पर नियंत्रण लगे और जनता का विश्वास बना रहे, साथ ही आपराधिक तत्वों को पकड़ा जा सके। यह स्पष्ट है कि यदि देश की सुरक्षा, पेपर लीक जैसे युवाओं के भविष्य के मुद्दों, और दंगा रोकने से समझौता किया जाता है, तो अंततः यह नियम आम नागरिकों के ही खिलाफ साबित होंगे।
FAQs (5 Q&A)
Q1. WhatsApp IT Rules 2021 क्या है? A. IT Rules 2021 भारत सरकार द्वारा जारी किए गए नियम हैं जो सोशल मीडिया इंटरमीडियरीज (मध्यस्थों) के लिए दिशानिर्देश निर्धारित करते हैं। इन नियमों में यह अनिवार्य किया गया है कि गंभीर अपराधों (जैसे दंगा, राष्ट्र की सुरक्षा या चाइल्ड सेक्सुअल अब्यूज) के मामलों में WhatsApp को संदेश के पहले Originator की पहचान करनी होगी।
Q2. WhatsApp Originator को क्यों नहीं बताना चाहता? A. WhatsApp का कहना है कि वे एंड-टू-एंड एन्क्रिप्शन (End-to-End Encryption) का उपयोग करते हैं। यदि वे संदेश के Originator को बताने के लिए अपनी एन्क्रिप्शन प्रणाली को तोड़ते हैं, तो यह उनकी प्राइवेसी पॉलिसी का हनन होगा, और इससे उनके 53 करोड़ भारतीय यूजर्स का विश्वास टूट जाएगा।
Q3. Originator की पहचान क्यों जरूरी है? A. Originator की पहचान इसलिए जरूरी है ताकि उन मास्टरमाइंड को पकड़ा जा सके जो फेक न्यूज़, दंगे, पेपर लीक और यौन शोषण से जुड़ी अवैध गतिविधियों को शुरू करते हैं। पुलिस को संदेश की श्रृंखला के स्रोत तक पहुंचने में बहुत समय लगता है, इसलिए कानून व्यवस्था बनाए रखने के लिए त्वरित Originator की जानकारी आवश्यक है।
Q4. Delhi High Court में WhatsApp की मुख्य दलील क्या है? A. Delhi High Court में Meta ने अप्रैल 2024 में चुनौती दी है कि IT Rules 2021 उनकी प्राइवेसी नीति का उल्लंघन करते हैं। उनकी दलील है कि यदि वे Originator को ट्रैक करना शुरू करते हैं, तो उन्हें लोगों का सारा डेटा सुरक्षित रखना पड़ेगा, जो एक तकनीकी चुनौती है, और इससे लोग प्लेटफॉर्म छोड़ देंगे।
Q5. WhatsApp Originator tracking से आम यूजर की प्राइवेसी पर क्या असर पड़ेगा? A. सरकार का दावा है कि उनका इंटरेस्ट आम यूजर के निजी संदेशों में नहीं है, बल्कि केवल गंभीर अपराधों के मामलों में Originator को पकड़ना है। हालांकि, WhatsApp का तर्क है कि नियमों का पालन करने से एन्क्रिप्शन कमजोर होगा, जिससे सभी यूजर्स की प्राइवेसी खतरे में पड़ जाएगी और उनकी सुरक्षा पर असर पड़ेगा।