Red Fort Car Blast की जांच तेज, गुरुग्राम से वाहन मालिक हिरासत में, जानें क्या है 'ओखला-अंबाला' कनेक्शन
दिल्ली लाल किला कार ब्लास्ट मामले में जांच तेज हो गई है। दिल्ली पुलिस ने गुरुग्राम से वाहन मालिक को हिरासत में लिया है। जानें क्या है पूरा मामला।
By: नीरज अहलावत | Date: 11 नवंबर 2025
Red Fort Car Blast: लाल किला धमाके की जांच तेज, गुरुग्राम से वाहन मालिक हिरासत में, जानें क्या है 'ओखला-अंबाला' कनेक्शन
नई दिल्ली। देश की राजधानी दिल्ली के अति-संवेदनशील इलाके लाल किले के पास एक कार में हुए भीषण विस्फोट ने सुरक्षा एजेंसियों को अलर्ट पर ला दिया है। इस धमाके में कई लोगों के हताहत होने की प्रारंभिक सूचना है, जिसने पूरे इलाके में सनसनी फैला दी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए दिल्ली पुलिस की कई टीमें जांच में जुट गई हैं।
इस हाई-प्रोफाइल मामले में पहला और सबसे बड़ा सुराग वाहन के मालिक के रूप में सामने आया है। दिल्ली पुलिस ने तेजी से कार्रवाई करते हुए, कार के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर, वाहन मालिक को हरियाणा के गुरुग्राम से हिरासत में ले लिया है।
हिरासत में लिए गए शख्स की पहचान मो. सलमान के रूप में हुई है। हालांकि, पूछताछ के दौरान सलमान ने जो कहानी बताई है, उसने इस जांच को और भी जटिल बना दिया है। सलमान का दावा है कि वह यह कार (हुंडई i20) काफी पहले ही बेच चुका था, लेकिन वाहन का स्वामित्व (Ownership) अभी तक उसके नाम पर ही दर्ज था। इस खुलासे ने जांच की दिशा को 'ओखला-अंड-अंबाला' के एक उलझे हुए त्रिकोण की ओर मोड़ दिया है।
लाल किला ब्लास्ट: गुरुग्राम से जुड़े तार और पुलिस की पहली कार्रवाई
यह पूरा घटनाक्रम तब शुरू हुआ जब लाल किले के पास पार्किंग या सड़क किनारे खड़ी एक हुंडई i20 कार में जोरदार धमाका हुआ। इलाका हाई-सिक्योरिटी ज़ोन होने के कारण, दिल्ली पुलिस के आला अधिकारी, बम निरोधक दस्ता (Bomb Disposal Squad) और फोरेंसिक टीमें तुरंत मौके पर पहुंच गईं।
जांच का पहला चरण: वाहन की पहचान
* पुलिस ने सबसे पहले वाहन के चेसिस नंबर और रजिस्ट्रेशन प्लेट के आधार पर उसके मालिक का पता लगाया।
* रिकॉर्ड्स के मुताबिक, कार मो. सलमान के नाम पर रजिस्टर्ड थी, जिसका पता गुरुग्राम का था।
* समय बर्बाद किए बिना, दिल्ली पुलिस की एक विशेष टीम ने गुरुग्राम पुलिस से संपर्क साधा और एक संयुक्त अभियान में मो. सलमान को उसके गुरुग्राम स्थित आवास से हिरासत में ले लिया।
प्रारंभिक जांच में पुलिस यह मानकर चल रही थी कि वाहन मालिक का सीधा संबंध इस धमाके से हो सकता है। हालांकि, सलमान से शुरू हुई पूछताछ ने मामले में कई नए पेंच डाल दिए हैं, जो एक बड़ी लापरवाही या एक सोची-समझी साजिश की ओर इशारा कर रहे हैं।
दिल्ली पुलिस के सूत्रों के अनुसार, सलमान से पूछताछ दिल्ली स्थित स्पेशल सेल के दफ्तर में की जा रही है। पुलिस उसके बयानों का सत्यापन (Verification) करने के लिए तकनीकी सर्विलांस और अन्य माध्यमों का सहारा ले रही है। यह जांचना महत्वपूर्ण है कि सलमान सच कह रहा है या जांच को गुमराह करने की कोशिश कर रहा है।
इस ऑपरेशन में दिल्ली और हरियाणा पुलिस के बीच का समन्वय (Coordination) अहम साबित हुआ। हाई-प्रोफाइल मामला होने के कारण दोनों राज्यों की पुलिस इस पर गंभीरता से काम कर रही है।
जांच में 'ओखला-अंबाला' कनेक्शन, वाहन मालिक ने किया बड़ा दावा
पुलिस हिरासत में मो. सलमान ने जो बयान दिया है, वह जांच का केंद्र बिंदु बन गया है। सलमान ने अधिकारियों को बताया कि धमाके में इस्तेमाल हुई हुंडई i20 कार को वह महीनों पहले ही बेच चुका था।
स्वामित्व की उलझी हुई चेन (Chain of Ownership)
* पहला खरीदार: सलमान के अनुसार, उसने अपनी कार ओखला निवासी देवेंद्र नाम के एक व्यक्ति को बेची थी।
* अधूरी कानूनी प्रक्रिया: सबसे बड़ी लापरवाही यह सामने आई कि कार बेचने के बावजूद, सलमान ने वाहन का स्वामित्व कानूनी रूप से देवेंद्र के नाम पर ट्रांसफर (RTO Transfer) नहीं करवाया था। कागजों पर, वह अभी भी कार का मालिक था।
* दूसरा खरीदार (कथित): सलमान ने यह भी दावा किया कि उसे बाद में पता चला कि देवेंद्र ने उस कार को आगे अंबाला (हरियाणा) में किसी और व्यक्ति को बेच दिया था।
यह 'ओखला-अंबाला' कनेक्शन अब दिल्ली पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती है। पुलिस को अब कम से कम तीन लोगों की श्रृंखला (Chain) की जांच करनी है:
* मो. सलमान (गुरुग्राम): पहला मालिक, जिसने कार बेची पर नाम ट्रांसफर नहीं किया।
* देवेंद्र (ओखला): दूसरा मालिक (कथित), जिसने कार खरीदी और आगे बेच दी।
* अज्ञात व्यक्ति (अंबाला): तीसरा मालिक (कथित), जिसके पास धमाके से पहले कार हो सकती है।
पुलिस अब देवेंद्र की तलाश में ओखला में छापेमारी कर रही है। देवेंद्र की गिरफ्तारी के बाद ही यह स्पष्ट हो पाएगा कि कार अंबाला में किसे बेची गई थी और क्या सलमान के दावे सही हैं। यह जांच इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अक्सर आपराधिक और आतंकवादी गतिविधियों में ऐसी कारों का इस्तेमाल किया जाता है, जिनका स्वामित्व स्पष्ट नहीं होता।
दिल्ली पुलिस की जांच का फोकस: CCTV और फोरेंसिक सबूतों पर टिकी निगाहें
मो. सलमान के दावों के बीच, दिल्ली पुलिस अपनी जांच को केवल बयानों तक सीमित नहीं रख रही है। पुलिस की टीमें दो मुख्य तकनीकी पहलुओं पर काम कर रही हैं: फोरेंसिक सबूत और इलेक्ट्रॉनिक सर्विलांस (CCTV)।
फोरेंसिक जांच का महत्व
* फोरेंसिक विशेषज्ञों ने धमाके वाली जगह से सैंपल (नमूने) इकट्ठे किए हैं।
* जांच का मुख्य उद्देश्य यह पता लगाना है कि धमाके में किस तरह के विस्फोटक (Explosive) का इस्तेमाल किया गया था।
* क्या यह एक साधारण सिलेंडर ब्लास्ट था, या इसमें RDX, अमोनियम नाइट्रेट जैसे हाई-ग्रेड एक्सप्लोसिव का इस्तेमाल हुआ?
* इसकी रिपोर्ट ही तय करेगी कि यह घटना एक हादसा थी, कोई आपराधिक साजिश थी, या इसका कोई आतंकी एंगल है।
CCTV फुटेज खंगाल रही पुलिस
* लाल किला एक हाई-सिक्योरिटी ज़ोन है, जहां सैकड़ों CCTV कैमरे लगे हैं।
* पुलिस की एक टीम लाल किले की ओर आने वाले और वहां से जाने वाले सभी रास्तों के पिछले 24 से 48 घंटों के फुटेज को खंगाल रही है।
* पुलिस यह पता लगाने की कोशिश कर रही है कि यह हुंडई i20 कार कब और किस रास्ते से लाल किले तक पहुंची।
* सबसे महत्वपूर्ण, कार को वहां पार्क करने वाला शख्स कौन था? क्या वह कैमरे में कैद हुआ है?
* CCTV फुटेज के माध्यम से ही पुलिस यह जान पाएगी कि कार को वहां छोड़े जाने और धमाके के बीच कितना समय (Time Lag) था।
इन दोनों तकनीकी सबूतों का मिलान मो. सलमान और (मिलने पर) देवेंद्र के बयानों से किया जाएगा।
लाल किला: एक हाई-सिक्योरिटी ज़ोन, फिर कैसे हुई यह चूक?
लाल किले पर हुआ यह धमाका सिर्फ एक आपराधिक घटना नहीं है, बल्कि यह दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर भी एक गंभीर सवाल खड़ा करता है। लाल किला न केवल एक ऐतिहासिक इमारत है, बल्कि भारत की संप्रभुता का प्रतीक भी है, जहां से हर साल स्वतंत्रता दिवस पर प्रधानमंत्री राष्ट्र को संबोधित करते हैं।
सुरक्षा के कड़े इंतजाम
* लाल किले के आसपास के इलाके (चांदनी चौक, दरियागंज) 24 घंटे पुलिस की निगरानी में रहते हैं।
* यहां दिल्ली पुलिस के अलावा अर्धसैनिक बलों (Paramilitary Forces) की भी तैनाती रहती है।
* इलाके में प्रवेश करने वाले वाहनों की नियमित जांच (Checking) की जाती है।
उठते सवाल
* इतने कड़े सुरक्षा घेरे के बावजूद एक विस्फोटक लदी कार (यदि यह आतंकी हमला है) लाल किले तक कैसे पहुंच गई?
* क्या पार्किंग में या सड़क किनारे खड़ी गाड़ियों की नियमित रूप से जांच नहीं की जा रही थी?
* क्या यह इंटेलिजेंस की विफलता (Intelligence Failure) है?
हालांकि, पुलिस अधिकारी अभी इन सवालों पर कुछ भी कहने से बच रहे हैं। उनका कहना है कि पहली प्राथमिकता जांच पूरी करना और असली दोषियों तक पहुंचना है। लेकिन इस घटना ने एक बार फिर दिल्ली के वीवीआईपी इलाकों की सुरक्षा की समीक्षा (Security Review) करने पर मजबूर कर दिया है। यह घटना 2000 में हुए लाल किला आतंकी हमले की दर्दनाक यादों को भी ताजा करती है, जिसने सुरक्षा ग्रिड को पूरी तरह बदलने पर मजबूर कर दिया था।
वाहन बिक्री में लापरवाही: कैसे बनते हैं ये 'क्राइम व्हीकल'?
इस पूरे प्रकरण ने एक बार फिर उस प्रशासनिक लापरवाही को उजागर किया है, जिसका फायदा अपराधी और देशद्रोही तत्व उठाते हैं। मो. सलमान का यह दावा कि उसने कार बेच दी थी, पर ओनरशिप ट्रांसफर नहीं की, यह भारत में एक आम समस्या है।
कानूनी प्रक्रिया और उसकी अनदेखी
* मोटर व्हीकल एक्ट (Motor Vehicles Act) के तहत, वाहन बेचने के 14 दिनों के भीतर RTO (Regional Transport Office) में ओनरशिप ट्रांसफर के लिए आवेदन (Form 29 और Form 30) करना अनिवार्य है।
* जब तक नया मालिक वाहन को अपने नाम पर ट्रांसफर नहीं करा लेता, तब तक कानूनी रूप से पुराना मालिक (जिसके नाम पर RC है) ही वाहन के लिए जिम्मेदार होता है।
अपराधियों का 'मोडस ओपरेंडी'
* पूर्व पुलिस अधिकारियों के अनुसार, अपराधी जानबूझकर ऐसी 'सेकेंड हैंड' या 'थर्ड हैंड' कारें खरीदते हैं, जिनका ओनरशिप ट्रांसफर न हुआ हो।
* वे नकद में सौदा करते हैं और कभी भी वाहन को अपने नाम पर नहीं करवाते।
* इससे अपराध (चोरी, डकैती, या आतंकी हमला) करने के बाद वाहन को ट्रेस करना मुश्किल हो जाता है। पुलिस पहले मालिक तक पहुंचती है, जैसा कि इस केस में हुआ, और असली अपराधी को भागने का समय मिल जाता है।
मो. सलमान की लापरवाही (यदि उसका बयान सच है) ने उसे आज एक गंभीर मामले में मुख्य संदिग्ध बना दिया है। यह घटना आम नागरिकों के लिए भी एक सबक है कि वाहन बेचते समय कानूनी प्रक्रिया को पूरी गंभीरता से लेना कितना आवश्यक है।
मल्टी-एजेंसी जांच: दिल्ली, हरियाणा पुलिस और केंद्रीय एजेंसियों की भूमिका
लाल किले पर धमाका कोई सामान्य घटना नहीं है। इसकी गूंज गृह मंत्रालय (MHA) तक पहुंच चुकी है। मामले की गंभीरता को देखते हुए, यह अब सिर्फ दिल्ली पुलिस तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें कई एजेंसियां शामिल हो गई हैं।
* दिल्ली पुलिस (स्पेशल सेल): जांच का नेतृत्व दिल्ली पुलिस की आतंक-रोधी इकाई 'स्पेशल सेल' कर रही है। स्पेशल सेल के पास इस तरह के जटिल मामलों को सुलझाने का अनुभव है।
* हरियाणा पुलिस: चूंकि पहला संदिग्ध (मो. सलमान) गुरुग्राम से मिला है और एक सिरा अंबाला से जुड़ रहा है, इसलिए हरियाणा पुलिस की भूमिका महत्वपूर्ण हो गई है।
* केंद्रीय एजेंसियां (IB और NIA): सूत्रों के मुताबिक, इंटेलिजेंस ब्यूरो (IB) और राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने भी दिल्ली पुलिस से इस मामले की जानकारी ली है।
* IB अपने खबरी नेटवर्क के जरिए इनपुट्स जुटा रही है।
* NIA इस बात पर नजर रखे हुए है कि क्या इस धमाके के तार किसी संगठित आतंकी समूह से जुड़े हैं। यदि फोरेंसिक रिपोर्ट में RDX या अन्य सैन्य-ग्रेड विस्फोटक की पुष्टि होती है, तो NIA इस मामले की जांच अपने हाथ में ले सकती है।
आने वाले 24 से 48 घंटे इस जांच के लिए बेहद महत्वपूर्ण हैं। पुलिस का मुख्य लक्ष्य ओखला निवासी देवेंद्र तक पहुंचना और अंबाला में बेची गई कार के अंतिम खरीदार का पता लगाना है।
📍 निष्कर्ष (Conclusion)
दिल्ली के लाल किले के पास हुआ यह कार ब्लास्ट कई गंभीर सवाल खड़े करता है। यह घटना न केवल राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था में संभावित चूक की ओर इशारा करती है, बल्कि वाहन बिक्री में होने वाली उस प्रशासनिक लापरवाही को भी उजागर करती है, जो अनजाने में अपराधियों का सबसे बड़ा हथियार बन जाती है।
दिल्ली पुलिस ने गुरुग्राम से वाहन मालिक मो. सलमान को हिरासत में लेकर जांच की सही दिशा में पहला कदम बढ़ाया है, लेकिन 'ओखला-अंबाला' कनेक्शन ने इस केस को एक उलझी हुई पहेली बना दिया है। अब यह जांच फोरेंसिक रिपोर्ट और CCTV फुटेज जैसे तकनीकी सबूतों पर टिकी है। देखना यह होगा कि क्या दिल्ली पुलिस इस जटिल स्वामित्व श्रृंखला (Ownership Chain) को सुलझाकर असली गुनहगारों तक पहुंच पाती है, या यह मामला भी फाइलों में दबी एक और जांच बनकर रह जाएगा।
❓ अक्सर पूछे जाने वाले सवाल (FAQs)
1. लाल किला कार ब्लास्ट का मुख्य संदिग्ध कौन है?
> अभी तक पुलिस ने किसी को मुख्य संदिग्ध या आरोपी नहीं बनाया है। हालांकि, जिस कार में ब्लास्ट हुआ, उसके रजिस्टर्ड मालिक मो. सलमान को गुरुग्राम से हिरासत में लेकर पूछताछ की जा रही है।
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2. दिल्ली पुलिस ने लाल किला कार ब्लास्ट मामले में किसे हिरासत में लिया?
> दिल्ली पुलिस ने कार के रजिस्ट्रेशन नंबर के आधार पर उसके मालिक मो. सलमान को हरियाणा के गुरुग्राम से हिरासत में लिया है। सलमान का दावा है कि वह कार पहले ही बेच चुका था।
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3. लाल किला कार ब्लास्ट में 'ओखला-अंबाला' कनेक्शन क्या है?
> हिरासत में लिए गए मालिक मो. सलमान ने दावा किया कि उसने कार ओखला के देवेंद्र नाम के शख्स को बेची थी, जिसने कथित तौर पर उसे आगे अंबाला में किसी और को बेच दिया। पुलिस इसी चेन की जांच कर रही है।
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4. यह कार ब्लास्ट इतना गंभीर क्यों माना जा रहा है?
> यह ब्लास्ट लाल किला जैसे हाई-सिक्योरिटी ज़ोन में हुआ है, जो भारत की संप्रभुता का प्रतीक है। यहां किसी भी तरह की विस्फोटक घटना को राष्ट्रीय सुरक्षा के दृष्टिकोण से बेहद गंभीर माना जाता है।
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5. कार बेचते समय ओनरशिप ट्रांसफर (स्वामित्व हस्तांतरण) क्यों जरूरी है?
> जैसा कि इस मामले में देखा गया, यदि आप कार बेचते हैं और RTO में नाम ट्रांसफर नहीं कराते हैं, तो कानूनी रूप से आप ही उसके मालिक रहते हैं। यदि उस कार से कोई अपराध या दुर्घटना होती है, तो पु
लिस सबसे पहले आप तक ही पहुंचेगी।
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"लाल किला कार ब्लास्ट की जांच करती दिल्ली पुलिस"