कौवों की कातिल याददाश्त: 17 साल तक नहीं भूलते दुश्मन, जानिए बदला लेने का खौफनाक सच
कौवे सिर्फ चालाक नहीं, उनकी स्मरण शक्ति इतनी तेज़ है कि वे इंसानों के चेहरे 17 साल तक याद रख सकते हैं रखते हैं और पीढ़ियों तक बदला लेते हैं। जानिए उनकी बुद्धिमत्ता का वैज्ञानिक खुलासा।
दैनिक रियल्टी ब्यूरो |By: Neeraj Ahlawat Publish Date: 27 Aug 2025
कौवों की चौंकाने वाली दुनिया: क्या आप जानते हैं कि वे आपको कभी नहीं भूलते?
क्या आपने कभी सोचा है कि जिस कौवे को आप सुबह-सुबह घर से भगा देते हैं या पत्थर दिखाते हैं, वह आपकी शक्ल हमेशा के लिए याद कर सकता है? यह आपको मज़ाक लग सकता है, लेकिन विज्ञान इसकी पुष्टि करता है। बचपन में हमने प्यासे कौवे की कहानी सुनी थी, जिसने अपनी बुद्धिमत्ता से पानी ऊपर ले आया था। यह कहानी हमें सिखाती है कि कौवे सिर्फ चालाक नहीं, बल्कि मास्टरमाइंड होते हैं, जिनकी दुनिया कहीं ज्यादा दिलचस्प और थोड़ी डरावनी भी है। ये पक्षी इंसानों की तरह चेहरे, घटनाएं और दुश्मनी भी सालों-साल याद रखते हैं। नमस्कार, आज हम बात करेंगे कौवों की असाधारण याददाश्त और उस विज्ञान की, जो उन्हें 'उड़ता हुआ बंदर' कहता है।
कौवों की याददाश्त का वैज्ञानिक खुलासा: वाशिंगटन यूनिवर्सिटी का शोध
यह कोई कोरी बकवास नहीं है। अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन ने अपने शोध में इस बात को साबित किया है। कहानी 2005 में शुरू हुई, जब डॉ. जॉन एम. मार्जिलफ और उनकी टीम ने एक अनोखा प्रयोग किया। एक शोधकर्ता ने एक डरावना सा रबर का मास्क पहना और कौवे को पकड़ने का नाटक करने लगा, जिससे वह कौवों के लिए एक खतरा बन गया। बाकी टीम के सदस्य सामान्य मास्क पहनकर दूर खड़े रहे और उन्होंने कौवों को परेशान नहीं किया। जैसे ही वह डरावने मास्क वाला व्यक्ति दोबारा मैदान में पहुंचा, कौवों का एक बड़ा झुंड इकट्ठा हो गया। वे जोर-जोर से कांव-कांव करते हुए उसके सिर के ऊपर मंडराने लगे, ऐसा माहौल बना दिया जैसे कोई दुश्मन उनके इलाके में घुस आया हो। यह सिर्फ शोर नहीं था, बल्कि एक संगठित हमला था - एक कौवा ऊपर से निगरानी कर रहा था तो दूसरा नीचे से उसका पीछा कर रहा था।
पीढ़ियों तक चलता है दुश्मनी का सिलसिला: 17 साल का अद्भुत प्रयोग
सबसे हैरान करने वाली बात तब सामने आई जब उन कौवों ने भी हमला करना शुरू कर दिया, जो इस पहले एक्सपेरिमेंट का हिस्सा नहीं थे। ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि पहले वाले कौवों ने उन्हें सामाजिक संचार (Social Communication) के माध्यम से जानकारी दी थी कि "यह मास्क वाला व्यक्ति खतरनाक है, इससे दूर रहना और इसे भगाना है"। इन शुरुआती नतीजों ने शोधकर्ताओं को इतना चौंकाया कि उन्होंने इस प्रयोग को एक-दो साल नहीं, बल्कि पूरे 17 साल तक चलाने का फैसला किया। और परिणाम? 17 साल के बाद भी, वे कौवे और उनकी नई पीढ़ियां तक उस डरावने मास्क वाले व्यक्ति को देखकर अपनी नाराजगी जताती रहीं। इसका मतलब है कि कौवे न सिर्फ सीखते हैं, बल्कि अपनी सीख को अगली पीढ़ी तक भी पहुंचाते हैं। एक कौवे का पूरा खानदान आपको अपना दुश्मन मान सकता है।
उड़ता हुआ बंदर: कौवों का दिमाग और असाधारण समझदारी
वैज्ञानिकों का कहना है कि कौवे की समझदारी लगभग 7 साल के बच्चे जितनी होती है। उनका दिमाग भले ही छोटा हो, लेकिन शरीर के आकार के हिसाब से यह बंदरों जैसा काम करते हैं। प्रोफेसर जॉन मज़ाक में उन्हें 'उड़ता हुआ बंदर' कहते हैं। दिलचस्प बात यह है कि ये सिर्फ तोते जैसे रट्टा मारने वाले पक्षी नहीं होते। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी में बेटी नाम की एक मादा कौवे के सामने एक कांच की ट्यूब में खाना रखा गया था। ट्यूब के पास एक सीधा तार भी था। बेटी ने कुछ देर सोचा, फिर तार को अपनी चोंच से मोड़कर एक हुक बनाया और उसी हुक से बाल्टी निकालकर खाना खाया।
औजार बनाने वाले मास्टरमाइंड कौवे: जेम्स बॉन्ड 77 का कमाल
एक और अद्भुत एक्सपेरिमेंट में, वैज्ञानिकों ने एक कौवे का नाम जेम्स बॉन्ड वाला '77' रखा। उसके सामने आठ स्टेप का एक पजल रखा गया, जिसमें एक पहेली सुलझाने पर दूसरा टूल मिलता और उससे तीसरी पहेली सुलझती, और ऐसा आठ बार करना था। 77 ने यह चुनौती बिना किसी ट्रेनिंग के पूरी कर दिखाई। ये प्रयोग साबित करते हैं कि कौवे सिर्फ याद नहीं रखते, बल्कि वे सोचते हैं, अच्छी प्लानिंग करते हैं, औजार बनाते हैं और उनका इस्तेमाल करना भी जानते हैं।
कौवों का सामाजिक जीवन: रिश्ते, टीमवर्क और मातम
कौवे सिर्फ बदला लेने के लिए ही नहीं जाने जाते, बल्कि उनकी एक पूरी सामाजिक दुनिया होती है, जहाँ इंसानों जैसे रिश्ते, टीम वर्क और वफ़ादारी होती है। उनका जीवन पूरी तरह से परिवार केंद्रित होता है; माता-पिता, बड़े भाई-बहन सब मिलकर छोटे बच्चों की देखभाल करते हैं। अगर उनका कोई साथी मर जाए, तो पूरा झुंड इकट्ठा होकर मातम मनाता है। सारे कौवे चुप हो जाते हैं, जैसे कोई शोक सभा चल रही हो। वे हमेशा झुंड में रहते हैं, मिलकर खतरों का सामना करते हैं और यहां तक कि खाना भी आपस में शेयर करते हैं।
कैसे बचें कौवों की 'ब्लैकलिस्ट' से?
अगली बार जब कोई कौवा आपकी बालकनी में आकर बैठे, तो उसे हल्के में मत लीजिएगा। हो सकता है कि वह सिर्फ खाना खाने न आया हो, बल्कि आपके रूटीन पर नजर रखने आया हो। अगर आपने उसे प्यार से कुछ दिया, तो आप उसकी 'गुड लिस्ट' में आ सकते हैं। लेकिन अगर उसे परेशान किया, तो तैयार रहिए, आप उसकी 'ब्लैकलिस्ट' में आ चुके हैं। और कौवों की ब्लैकलिस्ट काफी लंबे समय तक चलती है। तो बेहतर होगा कि आप कौवों से दोस्ती करें!
FAQs
Q1: क्या कौवे इंसानों के चेहरे याद रख सकते हैं? A1: हां, विज्ञान के अनुसार कौवे इंसानों के चेहरे पहचान सकते हैं और उन्हें सालों तक याद रख सकते हैं। यूनिवर्सिटी ऑफ वाशिंगटन के शोध में यह साबित हुआ है कि वे 17 साल तक दुश्मन चेहरों को नहीं भूलते।
Q2: कौवे कितने समय तक दुश्मनी याद रखते हैं? A2: शोध से पता चला है कि कौवे और उनकी अगली पीढ़ियां भी 17 साल तक किसी खास व्यक्ति के प्रति अपनी नाराजगी याद रख सकती हैं। यह जानकारी सामाजिक संचार के माध्यम से एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जाती है।
Q3: कौवों की बुद्धिमत्ता का स्तर क्या है? A3: वैज्ञानिकों का कहना है कि कौवों की समझदारी लगभग 7 साल के बच्चे जितनी होती है। वे सिर्फ रट्टा नहीं मारते, बल्कि सोचते हैं, योजना बनाते हैं, औजार बनाते हैं और उनका उपयोग भी करते हैं।
Q4: क्या कौवे औजार बना सकते हैं और उनका इस्तेमाल कर सकते हैं? A4: बिल्कुल। ऑक्सफोर्ड यूनिवर्सिटी के प्रयोगों में, कौवों ने अपनी चोंच से तार को मोड़कर हुक बनाया और उसका उपयोग खाना निकालने के लिए किया। वे जटिल आठ-स्टेप के पजल भी बिना ट्रेनिंग के सुलझा सकते हैं।
Q5: कौवों का सामाजिक जीवन कैसा होता है? A5: कौवों का सामाजिक जीवन परिवार केंद्रित होता है। वे अपने बच्चों की देखभाल मिलकर करते हैं, झुंड में रहते हैं, खाना शेयर करते हैं और अपने मरे हुए साथियों के लिए मातम भी मनाते हैं। उनमें टीमवर्क और वफ़ादारी होती है।