Dharmendra Death News: 'ही-मैन' धर्मेंद्र का 89 साल की उम्र में निधन, बॉलीवुड में शोक की लहर
Dharmendra Death News: बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। जानें पूरी खबर।
By: नीरज अहलावत | Date: 11 नवंबर, 2025
नई दिल्ली: भारतीय सिनेमा के 'ही-मैन' कहे जाने वाले दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में निधन हो गया है। मंगलवार, 11 नवंबर 2025 की सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। धर्मेंद्र की टीम ने इस दुखद खबर की पुष्टि की है। इस खबर से पूरे बॉलीवुड और उनके करोड़ों प्रशंसकों में शोक की लहर दौड़ गई है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, उन्हें कुछ दिन पहले तबीयत बिगड़ने पर अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जहां वे आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर थे। छह दशकों से अधिक के अपने शानदार करियर में, धर्मेंद्र ने 'शोले', 'यादों की बारात' और 'धर्म वीर' जैसी कई प्रतिष्ठित फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। उनका जाना भारतीय सिनेमा के एक सुनहरे युग का अंत है।
Dharmendra Death: ब्रीच कैंडी अस्पताल में थे भर्ती, टीम ने की निधन की पुष्टि
मंगलवार की सुबह भारतीय फिल्म उद्योग के लिए एक बेहद दुखद खबर लेकर आई। बॉलीवुड के 'गरम-धरम' के नाम से मशहूर धर्मेंद्र देओल ने 89 साल की उम्र में दुनिया को अलविदा कह दिया। टाइम्स नाउ न्यूज़ के एक लाइव अपडेट के अनुसार, अभिनेता की टीम ने उनके निधन की पुष्टि की है।
प्राप्त जानकारी के मुताबिक, धर्मेंद्र को 10 नवंबर (सोमवार) को मुंबई के प्रतिष्ठित ब्रीच कैंडी अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत गंभीर बताई जा रही थी, जिसके बाद उन्हें तुरंत गहन चिकित्सा इकाई (ICU) में शिफ्ट कर दिया गया। सूत्रों ने बताया कि उन्हें वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था और वह वरिष्ठ कार्डियोलॉजिस्ट डॉ. देव पहलाजानी की सघन निगरानी में थे।
हालांकि, उनकी स्थिति में सुधार नहीं हुआ और मंगलवार सुबह उन्होंने अंतिम सांस ली। जैसे ही यह खबर सामने आई, फिल्म इंडस्ट्री में शोक की लहर दौड़ गई।
इससे पहले, जब उनके अस्पताल में भर्ती होने की खबरें आईं, तो परिवार और उनकी टीम ने प्रशंसकों से एक अपील की थी। उन्होंने अनुरोध किया था कि धर्मेंद्र के स्वास्थ्य के बारे में झूठी अफवाहें न फैलाई जाएं और इस मुश्किल समय में परिवार की प्राइवेसी (निजता) का सम्मान किया जाए। परिवार की तरफ से जल्द ही अंतिम संस्कार को लेकर आधिकारिक जानकारी साझा की जा सकती है। धर्मेंद्र के निधन ने भारतीय सिनेमा में एक ऐसा शून्य छोड़ दिया है, जिसे भरना लगभग असंभव है।
Dharmendra का शुरुआती जीवन: पंजाब के गांव से 'ही-मैन' बनने तक का सफर
धर्मेंद्र का असली नाम धरम सिंह देओल था। उनका जन्म 8 दिसंबर 1935 को पंजाब के लुधियाना जिले के नसराली गांव में एक जाट सिख परिवार में हुआ था। उनके पिता केवल किशन सिंह देओल एक स्कूल हेडमास्टर थे। धर्मेंद्र का बचपन साहनेवाल गांव में बीता, जहाँ उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त की।
बचपन से ही धर्मेंद्र का रुझान फिल्मों की ओर था। वह अभिनेता बनने का सपना देखते थे और अक्सर अपनी पढ़ाई छोड़कर फिल्में देखने चले जाते थे। अभिनेत्री सुरैया के वह इतने बड़े प्रशंसक थे कि उन्होंने उनकी फिल्म 'दिल्लगी' (1949) को 40 से अधिक बार देखा था।
उन्होंने फिल्मफेयर मैगजीन द्वारा आयोजित 'न्यू टैलेंट हंट' प्रतियोगिता में हिस्सा लिया और जीत हासिल की। इसी जीत के वादे के साथ वह पंजाब से सपनों की नगरी मुंबई आ गए, हालांकि उन्हें तुरंत काम नहीं मिला।
उनका फिल्मी सफर 1960 में अर्जुन हिंगोरानी की फिल्म 'दिल भी तेरा हम भी तेरे' से शुरू हुआ। शुरुआती दौर में उन्हें कई संघर्षों का सामना करना पड़ा, लेकिन उनकी लगन और प्रतिभा ने जल्द ही फिल्म निर्माताओं का ध्यान अपनी ओर खींचा। 1960 के दशक में उन्होंने 'बंदिनी', 'अनपढ़', 'आंखें' और 'फूल और पत्थर' जैसी फिल्मों में अपने अभिनय की छाप छोड़ी। फिल्म 'फूल और पत्थर' (1966) के लिए उन्हें पहली बार सर्वश्रेष्ठ अभिनेता के फिल्मफेयर पुरस्कार के लिए नामांकित किया गया। इसी फिल्म से उनकी 'ही-मैन' की छवि बननी शुरू हुई, जिसने उन्हें हिंदी सिनेमा के सबसे हैंडसम और मजबूत कद-काठी वाले हीरो के रूप में स्थापित कर दिया।
धर्मेंद्र का फ़िल्मी करियर: 'शोले' के वीरू से 'चुपके चुपके' के प्रोफेसर तक
धर्मेंद्र का करियर इसलिए भी अनूठा माना जाता है क्योंकि उन्होंने लगभग हर जॉनर (शैली) में सफलता हासिल की। जहाँ एक तरफ वह 'सत्यकाम' और 'अनुपमा' जैसी फिल्मों में संवेदनशील अभिनय कर रहे थे, वहीं दूसरी तरफ 'मेरा गांव मेरा देश' और 'यादों की बारात' जैसी फिल्मों से वह एक्शन हीरो के रूप में उभर रहे थे।
'गरम-धरम' और एक्शन किंग की उपाधि:
1970 का दशक धर्मेंद्र के नाम रहा। उन्हें 'गरम-धरम' का टैग मिला। उनकी फिजीक और दमदार डायलॉग डिलीवरी ने उन्हें जनता का हीरो बना दिया। 'धर्म वीर' (1977) में उनका योद्धा का किरदार आज भी लोगों के जहन में ताजा है। इस दशक में उन्होंने 'जुगनू', 'प्रतिज्ञा', 'चुपके चुपके' और 'शोले' जैसी ब्लॉकबस्टर फिल्में दीं।
'शोले' का वीरू - एक ऐतिहासिक किरदार:
1975 में आई 'शोले' भारतीय सिनेमा के इतिहास की सबसे बड़ी फिल्म मानी जाती है। इसमें धर्मेंद्र द्वारा निभाया गया 'वीरू' का किरदार अमर हो गया। जय (अमिताभ बच्चन) के साथ उनकी दोस्ती, बसंती (हेमा मालिनी) के साथ उनका चुलबुला रोमांस और "बसंती इन कुत्तों के सामने मत नाचना" जैसा डायलॉग आज भी सिनेमा का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। 'शोले' ने उन्हें सफलता के उस शिखर पर पहुंचा दिया, जहाँ हर अभिनेता पहुंचने का सपना देखता है।
कॉमेडी में भी बेजोड़:
धर्मेंद्र सिर्फ एक्शन या रोमांस तक सीमित नहीं रहे। उन्होंने कॉमेडी में भी अपना लोहा मनवाया। ऋषिकेश मुखर्जी की फिल्म 'चुपके चुपके' (1975) में प्रोफेसर परिमल त्रिपाठी और प्यारे मोहन इलाहाबादी का उनका किरदार हिंदी सिनेमा की सर्वश्रेष्ठ कॉमेडी परफॉरमेंस में से एक गिना जाता है। 'प्रतिज्ञा' और 'नया जमाना' जैसी फिल्मों में भी उनका कॉमिक टाइमिंग कमाल का था।
उन्होंने अपने करियर में 300 से अधिक फिल्मों में काम किया, जो उनकी लोकप्रियता और इंडस्ट्री में उनकी मांग को दर्शाता है। वह एकमात्र ऐसे हीरो थे जिन्होंने मीना कुमारी से लेकर जया बच्चन और रेखा से लेकर श्रीदेवी तक, कई पीढ़ियों की अभिनेत्रियों के साथ काम किया।
धर्मेंद्र का परिवार: हेमा मालिनी से शादी और देओल परिवार की विरासत
धर्मेंद्र का निजी जीवन भी हमेशा चर्चा में रहा। उनकी पहली शादी 1954 में महज 19 साल की उम्र में प्रकाश कौर से हुई थी, जब उन्होंने फिल्मों में कदम भी नहीं रखा था। इस शादी से उनके चार बच्चे हैं - सनी देओल, बॉबी देओल (दोनों सफल अभिनेता), विजीता और अजीता।
फिल्मों में आने के बाद, धर्मेंद्र की नजदीकियां अभिनेत्री हेमा मालिनी से बढ़ीं। दोनों की जोड़ी पर्दे पर सुपरहिट थी। उन्होंने 'सीता और गीता', 'शोले', 'ड्रीम गर्ल' और 'राजा जानी' जैसी कई सफल फिल्मों में एक साथ काम किया। यह ऑन-स्क्रीन केमिस्ट्री जल्द ही ऑफ-स्क्रीन प्यार में बदल गई।
हालांकि, धर्मेंद्र पहले से शादीशुदा थे और प्रकाश कौर उन्हें तलाक नहीं देना चाहती थीं। उस समय के हिंदू विवाह अधिनियम के अनुसार, वह दूसरी शादी नहीं कर सकते थे। इसलिए, 1980 में हेमा मालिनी से शादी करने के लिए धर्मेंद्र ने कथित तौर पर इस्लाम धर्म कबूल किया। इस शादी को लेकर काफी विवाद भी हुआ, लेकिन दोनों ने अपने रिश्ते को मजबूती से निभाया। हेमा मालिनी से उनकी दो बेटियां हैं - ईशा देओल और अहाना देओल।
धर्मेंद्र ने हमेशा अपने दोनों परिवारों के बीच संतुलन बनाए रखने की कोशिश की। वह अपने सभी बच्चों के करीब थे। बाद के वर्षों में, उन्होंने अपने बेटों सनी और बॉबी के साथ 'अपने' (2007) और 'यमला पगला दीवाना' (2011) जैसी सफल फिल्मों में काम किया, जिसने देओल परिवार की विरासत को पर्दे पर भी मजबूत किया। उनका परिवार बॉलीवुड के सबसे सम्मानित और शक्तिशाली परिवारों में से एक माना जाता है।
धर्मेंद्र का राजनीति और बाद का जीवन: जब 'ही-मैन' बने सांसद
अभिनय की दुनिया में अपार सफलता हासिल करने के बाद, धर्मेंद्र ने राजनीति में भी हाथ आजमाया। 2004 के आम चुनावों में, वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के टिकट पर राजस्थान की बीकानेर लोकसभा सीट से चुनाव लड़े और जीतकर संसद पहुंचे।
हालांकि, उनका राजनीतिक सफर बहुत यादगार नहीं रहा। एक अभिनेता के तौर पर वह जितने सफल थे, एक राजनेता के तौर पर उतने सहज नहीं हो पाए। संसद में उनकी कम उपस्थिति को लेकर अक्सर उनकी आलोचना होती थी। धर्मेंद्र ने खुद भी कई साक्षात्कारों में स्वीकार किया कि राजनीति उनके स्वभाव के अनुरूप नहीं थी। वह एक कलाकार थे और लोगों की सेवा करने का उनका तरीका अलग था। 2009 में अपना कार्यकाल पूरा करने के बाद उन्होंने सक्रिय राजनीति से दूरी बना ली।
फिल्मों में वापसी और आखिरी पारी:
राजनीति से हटने के बाद, धर्मेंद्र ने एक बार फिर अभिनय की ओर रुख किया। उन्होंने 'लाइफ इन अ... मेट्रो' (2007) और 'जॉनी गद्दार' (2007) जैसी फिल्मों में अपने किरदारों से आलोचकों को भी प्रभावित किया।
उनकी आखिरी बड़ी और यादगार भूमिका 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में देखी गई। इस फिल्म में उन्होंने शबाना आजमी के साथ एक भावुक किरदार निभाया था। फिल्म में दोनों के बीच एक किसिंग सीन को लेकर भी काफी चर्चा हुई थी, जिसने साबित कर दिया कि 80 की उम्र पार करने के बाद भी उनका करिश्मा और अभिनय के प्रति उनका जुनून कम नहीं हुआ था।
उन्हें 2012 में भारत सरकार द्वारा तीसरे सर्वोच्च नागरिक सम्मान 'पद्म भूषण' से सम्मानित किया गया था। उन्हें फिल्मफेयर का 'लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड' भी मिला, हालांकि यह एक तथ्य है कि उन्हें अपने शानदार करियर के बावजूद कभी भी सर्वश्रेष्ठ अभिनेता का फिल्मफेयर पुरस्कार नहीं मिला, जिसका मलाल उनके प्रशंसकों को हमेशा रहा।
विशेषज्ञ विश्लेषण: धर्मेंद्र के निधन से भारतीय सिनेमा में क्या शून्य पैदा हुआ?
वरिष्ठ पत्रकार और फिल्म समीक्षक मानते हैं कि धर्मेंद्र का जाना सिर्फ एक अभिनेता का जाना नहीं है, बल्कि यह भारतीय सिनेमा के एक पूरे युग का अंत है। धर्मेंद्र उस पीढ़ी के आखिरी स्तंभों में से एक थे, जिन्होंने 60, 70 और 80 के दशक में हिंदी सिनेमा को परिभाषित किया।
धर्मेंद्र की सबसे बड़ी खासियत उनकी 'यूनिवर्सल अपील' थी। वह एक ही समय में 'गरम-धरम' (एक्शन हीरो) भी थे और 'नरम-धरम' (रोमांटिक और संवेदनशील) भी। वह उन गिने-चुने अभिनेताओं में से थे, जिन्हें शहरी और ग्रामीण, दोनों तरह के दर्शकों ने बराबर प्यार दिया।
एक संपूर्ण पैकेज:
वह हिंदी फिल्मों के पहले 'ही-मैन' थे। उनसे पहले के हीरो (जैसे दिलीप कुमार, राज कपूर) अपनी रोमांटिक या ट्रैजिक छवि के लिए जाने जाते थे, लेकिन धर्मेंद्र ने अपनी दमदार कद-काठी से 'मर्दानगी' की एक नई परिभाषा गढ़ी। इसके बावजूद, उन्होंने 'सत्यकाम' जैसी फिल्म में जो संवेदनशीलता दिखाई, वह उन्हें सिर्फ एक एक्शन हीरो से कहीं बड़ा कलाकार साबित करती है।
विरासत:
धर्मेंद्र ने जो विरासत छोड़ी है, वह सिर्फ उनकी फिल्मों तक सीमित नहीं है। उन्होंने 'देओल' परिवार के रूप में बॉलीवुड को एक ऐसी वंशावली दी है, जो आज भी इंडस्ट्री में सक्रिय है। उनका जाना एक पितामह का जाना है।
विशेषज्ञों का मानना है कि धर्मेंद्र का शून्य इसलिए भी बड़ा है क्योंकि वह उस 'मास हीरो' की छवि के प्रतीक थे, जो जमीन से जुड़ा था, जिसकी आंखों में ईमानदारी थी और जिसकी मुस्कान पर करोड़ों लोग फिदा थे। वह एक ऐसे स्टार थे, जो स्टार होने के बावजूद हमेशा 'अपने' लगते थे।
📍 Conclusion (निष्कर्ष)
धर्मेंद्र का 89 वर्ष की आयु में निधन, भारतीय सिनेमा के एक स्वर्णिम अध्याय का अंत है। पंजाब के एक छोटे से गांव से निकलकर बॉलीवुड के 'ही-मैन' बनने तक का उनका सफर, छह दशकों तक फैला रहा, जिसने उन्हें एक राष्ट्रीय आइकन बना दिया। वह सिर्फ एक अभिनेता नहीं थे; वह एक ऐसे कलाकार थे जिन्होंने एक्शन, रोमांस और कॉमेडी को एक साथ जिया। 'शोले' के वीरू से लेकर 'चुपके चुपके' के प्रोफेसर तक, उनके किरदार हमेशा भारतीय सिनेमा की धरोहर रहेंगे। उनके जाने से जो शून्य पैदा हुआ है, उसे कभी भरा नहीं जा सकेगा, लेकिन उनकी फिल्में और उनकी गर्मजोशी भरी मुस्कान हमेशा उनके प्रशंसकों के दिलों में जिंदा रहेगी।
❓ FAQs (अक्सर पूछे जाने वाले प्रश्न)
1. धर्मेंद्र का निधन कब और कहाँ हुआ?
दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन 11 नवंबर, 2025 (मंगलवार) की सुबह मुंबई के ब्रीच कैंडी अस्पताल में हुआ। वह 89 वर्ष के थे।
2. धर्मेंद्र को अस्पताल में क्यों भर्ती कराया गया था?
रिपोर्ट्स के अनुसार, धर्मेंद्र की तबीयत बिगड़ने पर उन्हें 10 नवंबर को अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उनकी हालत गंभीर थी और उन्हें आईसीयू में वेंटिलेटर सपोर्ट पर रखा गया था।
3. धर्मेंद्र को बॉलीवुड का 'ही-मैन' क्यों कहा जाता था?
धर्मेंद्र को उनकी मजबूत कद-काठी, दमदार फिजीक और एक्शन फिल्मों में उनके किरदारों के कारण 'ही-मैन ऑफ बॉलीवुड' की उपाधि दी गई थी। वह हिंदी सिनेमा के पहले मस्कुलर एक्शन हीरो में से एक थे।
4. धर्मेंद्र की सबसे सफल फिल्में कौन सी हैं?
धर्मेंद्र ने अपने करियर में कई सुपरहिट फिल्में दी हैं, जिनमें 'शोले', 'धर्म वीर', 'यादों की बारात', 'मेरा गांव मेरा देश', 'चुपके चुपके', 'सीता और गीता' और 'फूल और पत्थर' प्रमुख हैं।
5. धर्मेंद्र की आखिरी फिल्म कौन सी थी?
धर्मेंद्र आखिरी बार 2023 में रिलीज हुई करण जौहर की फिल्म 'रॉकी और रानी की प्रेम कहानी' में एक महत्वपूर्ण भूमिका में नजर आए थे। इस फिल्म में उनके अभिनय की काफी सराहना हुई थी